वास्तु शास्त्र के अनुसार घर, दुकान या ऑफिस की बनावट में यदि पंचतत्वों (आग, जल, वायु, आकाश, पृथ्वी) का असंतुलन होता है, तो उसे वास्तु दोष कहते हैं. इससे जीवन में क्लेश, अस्थिरता, स्वास्थ्य समस्याएं या आर्थिक बाधाएं आ सकती हैं. अब सवाल उठता है. क्या इन दोषों को केवल मंत्रों के बल पर ठीक किया जा सकता है?

मंत्र जाप वास्तु सुधार की एक शक्तिशाली लेकिन सहायक विधि है. विशेषज्ञों का मानना है कि मंत्रों का प्रभाव मानसिक और आध्यात्मिक ऊर्जा पर होता है, जिससे नकारात्मकता कम होती है और सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है.
ॐ वास्तु पुरुषाय नमः
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
ॐ त्र्यंबकं यजामहे…
इन मंत्रों के नियमित जाप से वातावरण में शुद्धता और मानसिक शांति आती है. लेकिन यदि वास्तु दोष भौतिक रूप से बहुत गंभीर हो, जैसे दक्षिण-पश्चिम दिशा में रसोई, ईशान कोण में शौचालय, या घर के मध्य में भारी निर्माण तो केवल मंत्र जाप पर्याप्त नहीं होता. वहां भौतिक सुधार जैसे मिरर, रंग, धातु यंत्र या दिशा परिवर्तन जरूरी होते हैं.
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