विनोद दुबे, रायपुर। देश की सत्रहवीं लोकसभा के लिए आम चुनाव हो गए हैं. इस भीषण गर्मी में सात चरणों में सवा महीने से ज्यादा समय तक चुनाव हुए. 11 अप्रैल को पहले चरण के मतदान किये गए वहीं 19 मई को सातवें चरण का मतदान संपन्न हुआ. मतदान संपन्न होने के साथ ही आए एक्ज़िट पोल के आंकड़ों ने भाजपा नेताओं और एनडीए घटक दलों के चेहरे पर मुस्कान ला दिया. आंकड़ों के मुताबिक एनडीए गठबंधन की सरकार में वापसी हो रही है. भाजपा के भीतर भी इस बात को लेकर चिंता है कि अगर चुनाव परिणाम इन आंकड़ों के मुताबिक नहीं हुए तो केन्द्र में फिर सरकार कैसे बनेगी. चर्चा है कि ऐसे में मोदी दुबारा प्रधानमंत्री नहीं बन पाएंगे. फिर पार्टी के भीतर और एनडीए गठबंधन में मोदी का विकल्प कौन होगा इसकी भी तलाश की जा रही है.

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भाजपा में ये हो सकते हैं मोदी के उत्तराधिकारी

केन्द्र में एनडीए को सरकार बनाने के लिए अन्य दलों को कुनबे में साथ लेना होगा और जोड़-तोड़ से बनने वाली सरकार में अगर मोदी की स्वीकार्यता नहीं होगी तो भाजपा या एनडीए के भीतर ऐसे चार नेता हैं जो मोदी के उत्तराधिकारी बन सकते हैं. पार्टी के भीतर पीएम मोदी के उत्तराधिकारी के रुप में भाजपा के दो पूर्व अध्यक्ष नितीन गडकरी और राजनाथ सिंह को सबसे प्रमुख दावेदार माना जा रहा है. चूंकि नितिन गडकरी नागपुर से आतें हैं और संघ के सबसे करीबी नेताओं में वे पहले नंबर पर हैं लिहाजा उनकी दावेदारी सबसे प्रमुख है.

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नितिन गडकरी पिछले लंबे समय से शीर्ष नेतृत्व की कार्यशैली पर उंगली उठाते रहे हैं और सार्वजनिक तौर पर वे खुलकर बयान देते रहे हैं. मोदी की कट्टरपंथी छवि के इतर गडकरी नरम छवि के हैं और अन्य दलों के नेताओं के साथ भी उनके रिश्ते मधुर हैं. गडकरी के बाद भाजपा में दूसरे नंबर पर राजनाथ सिंह हैं. राजनाथ सिंह सरकार में दूसरे नंबर पर हैं और गृहमंत्रालय का कामकाज बखूबी निभा रहे हैं. राजनाथ को सरकार चलाने का अनुभव भी रहा है वे देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं. गडकरी की तरह ही राजनाथ की छवि कट्टरपंथी नेता की बजाय नरमपंथी नेता की है.

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वहीं भाजपा से पीएम पद के लिए एक और नेता का नाम चल रहा है लेकिन इन दो नामों के इतर इस नाम की चर्चा कम है. वो नाम है केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर का है.

नीतीश कुमार होंगे एनडीए के नेता?

इनके अलावा नीतीश कुमार का नाम गैर भाजपाई नेताओं में सबसे आगे है. नीतीश कुमार खुद भी प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवार की रेस में शामिल बता चुके हैं. रह-रह कर उनकी यह इच्छा सामने आते रही है. नीतीश केन्द्र में मंत्री रहने के साथ ही बिहार के सीएम हैं. बिहार में उनके कामकाज की वजह से उन्हें सुशासन बाबू के नाम से भी पुकारा जाता है. भाजपा अगर बहुमत से काफी पीछे रहती है तो नीतीश कुमार एनडीए में शामिल उन नेताओं में पहले नंबर पर होंगे जो कि मोदी को दुबारा प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनते नहीं देखना चाहेंगे. साध्वी प्रज्ञा द्वारा हाल ही में गांधी के हत्यारे गोडसे को देशभक्त बताने पर नीतीश ने अपनी नाराजगी जाहिर की थी और प्रज्ञा ठाकुर को पार्टी से निकालने की सलाह भाजपा को दी थी. नीतीश कुमार ने खुद की सेक्युलर नेता की छवि को बरकरार रखा है और वे भी एक समय पर मोदी विरोधी नेताओं में शुमार थे.

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