अजयारविंद नामदेव, शहडोल। देश भर के सरकारी स्कूलों की हालत बेहद बुरी स्थिति में है। जर्जर इमारत में देश का ‘भविष्य’ कहे जाने वाले बच्चे अपनी जान जोखिम में डालकर पढ़ाई कर रहे हैं। हाल ही में राजस्थान में सरकारी स्कूल की छत गिरने से 7 मासूम बच्चों की दर्दनाक मौत हो गई थी। ऐसी ही एक घटना मध्य प्रदेश में भी होने से बच गई। जहां सरकारी विद्यालय की छत का प्लास्टर गिरने के बाद बच्चों ने अपनी जान बचाई। 

छत का प्लास्टर गिरने से हडकंप

मामला शहडोल के सोहागपुर जनपद पंचायत अंतर्गत बोडरी ग्राम पंचायत का है। जहां स्थित शासकीय प्राथमिक स्कूल की जर्जर बिल्डिंग की छत का प्लास्टर आज शनिवार को गिर गया। घटना के बाद हड़कंप मच गया। बच्चों के साथ शिक्षक बाहर की ओर भागे और अपनी जान बचाई। जिस दौरान हादसा हुआ, उस वक्त स्कूल में पहली से पांचवी कक्षा के 33 बच्चे मौजूद थे। 

25 साल पहले बनी थी स्कूल की इमारत

दरअसल, स्कूल की इमारत 1999-2000 में बनी थी। लगभग 25 साल बाद अब इमारत जर्जर होने लगी है। कई बारिश झेल चुके इस सरकारी स्कूल की हालत बेहद बुरी है। लेकिन अब तक इसका मेंटेनेंस नहीं कराया गया। शिक्षकों का कहना है कि उन्होंने स्कूल की जर्जर अवस्था के बारे में प्रशासन को आगाह किया था। लेकिन कोई सुध नहीं ली गई। 

खतरे में जान डालकर हो रही पढ़ाई

बता दें कि देश के कई अलग-अलग हिस्सों से सरकारी स्कूल से लेकर सरकारी भवन के जर्जर होने की तस्वीरें सामने आ चुकी हैं। बच्चों से लेकर कई कर्मचारी अपनी जान खतरे में डालकर वहां रहने पर मजबूर हैं। लेकिन बावजूद इसके जानलेवा सिस्टम सुधरने का नाम नहीं ले रहा है। क्या प्रशासन किसी हादसे का इंतजार कर रहा है? अब देखना होगा कि व्यवस्थाओं का सुधार होने में अब कितना समय लगेगा? 

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