कुमार इंदर, जबलपुर/दिल्ली। मध्य प्रदेश के पैरामेडिकल कॉलेजों को सुप्रीम कोर्ट से फौरी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने प्रदेश के पैरामेडिकल कॉलेजों की मान्यता और प्रवेश प्रक्रिया पर मध्य प्रदेश हाई कोर्ट द्वारा लगाई गई रोक को हटा दिया है। हाई कोर्ट के इस फैसले को पैरामेडिकल कॉलेजों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, जिस पर सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम आदेश जारी किया। कोर्ट ने मामले से जुड़ी सभी संबंधित संस्थाओं, जिसमें पैरामेडिकल काउंसिल और राज्य सरकार शामिल हैं, को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

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दरअसल, मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने स्टूडेंट्स लॉ एसोसिएशन के अध्यक्ष और अधिवक्ता विशाल बघेल की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए पैरामेडिकल कॉलेजों की मान्यता और प्रवेश प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी। हाई कोर्ट ने आदेश दिया था कि प्रदेश भर के पैरामेडिकल कॉलेजों के मान्यता आवेदन और निरीक्षण रिपोर्टें कोर्ट में पेश की जाएं।

याचिका में दावा किया गया था कि मध्य प्रदेश में फर्जी नर्सिंग कॉलेजों की तर्ज पर पैरामेडिकल कॉलेज भी संचालित हो रहे हैं। करीब 250 पैरामेडिकल कॉलेज पिछले दो साल से बिना मध्य प्रदेश मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी की संबद्धता के चल रहे हैं। शैक्षणिक सत्र 2023-24 और 2024-25 के लिए हजारों छात्रों को बिना वैध एफिलिएशन के ही प्रवेश दिया गया। हैरानी की बात यह है कि कुछ पैरामेडिकल कॉलेज उन ही पतों पर संचालित हो रहे हैं, जहां पहले फर्जी नर्सिंग कॉलेज चल रहे थे।

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इधर सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से पैरामेडिकल कॉलेजों में प्रवेश प्रक्रिया फिर से शुरू होने का रास्ता साफ हो गया है। हालांकि, मामले की अंतिम सुनवाई अभी बाकी है, और कोर्ट के अगले आदेश का इंतजार किया जा रहा है। 

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