दिल्ली सरकार (Delhi Govenment) प्राइवेट स्कूलों(Private School) की फीस को नियंत्रित करने के लिए विधानसभा में एक नया बिल पेश करने की योजना बना रही है, जिसका नाम दिल्ली स्कूल शिक्षा (Transparency in Fixation and Regulation of Fees) बिल, 2025 है. इस बिल के अंतर्गत दिल्ली के 1677 प्राइवेट स्कूलों की फीस अब सरकार के नियंत्रण में होगी. इसके अलावा, स्कूलों की फीस में वृद्धि की अनुमति या रोक लगाने का निर्णय स्कूल स्तरीय समिति, जिला स्तरीय समिति और राज्य स्तरीय शिक्षा निदेशालय की समिति द्वारा लिया जाएगा. इस बिल में यह प्रावधान भी है कि तीनों समितियों और उनके सदस्यों के खिलाफ न तो जिला अदालत में कोई याचिका दायर की जा सकती है और न ही जिला अदालत इस पर कोई निर्णय दे सकती है.
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नहीं था कोई भी ठोस कानून
दिल्ली में प्राइवेट स्कूलों द्वारा फीस में मनमानी वृद्धि के खिलाफ कोई ठोस कानून नहीं था, और यह सब शिक्षा विभाग के निर्देशों पर निर्भर था, जिनका पालन प्राइवेट स्कूल नहीं कर रहे थे. पहले, दिल्ली स्कूल शिक्षा अधिनियम, 1973 और दिल्ली स्कूल शिक्षा नियम, 1973 के तहत प्राइवेट स्कूलों को नियंत्रित किया जाता था. दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय (DoE) के नियमों के अनुसार, प्राइवेट स्कूलों को हर साल ऑडिट रिपोर्ट पेश करनी होती थी और फीस बढ़ाने के लिए सरकार की मंजूरी लेनी होती थी. बिना मंजूरी फीस बढ़ाने पर जुर्माने का प्रावधान भी था.
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हालांकि, दिल्ली हाईकोर्ट ने एक आदेश जारी कर उन प्राइवेट स्कूलों को मंजूरी के प्रावधान से बाहर रखा था, जो सरकारी भूमि पर नहीं बने हैं. इसके अतिरिक्त, दिल्ली में अब तक कोई ठोस कानून नहीं था, केवल एक आदेश था, जिसके कारण प्राइवेट स्कूलों ने मनमानी की. लेकिन अब दिल्ली सरकार दिल्ली स्कूल शिक्षा (Transparency in Fixation and Regulation of Fees)विधेयक, 2025 लाने की योजना बना रही है.
‘प्राइवेट स्कूल मालिकों के फायदे के लिए स्कूल फीस बिल’- आतिशी
आम आदमी पार्टी ने दिल्ली सरकार द्वारा प्राइवेट स्कूलों की फीस नियंत्रित करने के लिए पेश किए जा रहे बिल को फर्जी करार दिया है, जिसका उद्देश्य केवल निजी स्कूलों को लाभ पहुंचाना है. विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष आतिशी ने सोमवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस बिल पर अपनी आपत्तियां व्यक्त कीं. उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार का यह बिल अभिभावकों की राय और पारदर्शिता के बिना तैयार किया गया है, जिसका मुख्य लक्ष्य प्राइवेट स्कूलों की आय बढ़ाना है. आम आदमी पार्टी का मानना है कि यह बिल दिल्ली के बच्चों और उनके अभिभावकों के हित में होना चाहिए.
नेता विपक्ष आतिशी ने कहा कि दिल्ली विधानसभा में पेश होने वाला दिल्ली स्कूल एजुकेशन ट्रांसपेरेंसी फिक्सेशन एंड रेगुलेशन ऑफ फीस बिल 2025 केवल प्राइवेट स्कूलों की फीस बढ़ाने के लिए बनाया गया है, जो प्राइवेट स्कूल मालिकों के हित में है. इस बिल में 2025-26 में प्राइवेट स्कूलों द्वारा की गई फीस वृद्धि को नियंत्रित करने का कोई प्रावधान नहीं है. बिल में यह स्पष्ट किया गया है कि 15 जुलाई तक एक समिति का गठन होना चाहिए, जबकि आज 4 अगस्त को यह पेश किया जा रहा है. इस पर बहस होगी और यह केंद्र सरकार के पास जाएगा, लेकिन तय तारीख के पार होने के बाद यह कहा जाएगा कि इस साल की फीस वृद्धि पर कोई रोक नहीं लगेगी और अगले साल की स्थिति देखी जाएगी.
स्कूल लेवल फीस रेगुलेशन कमिटी होगी गठित
सभी निजी स्कूलों में एक स्कूल लेवल फीस रेगुलेशन कमिटी का गठन किया जाएगा, जिसकी अध्यक्षता स्कूल प्रबंधन के चेयरपर्सन करेंगे. इस समिति में सचिव के रूप में स्कूल की प्रिंसिपल, तीन शिक्षक सदस्य और पांच अभिभावक शामिल होंगे. इसके अतिरिक्त, दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशक का एक प्रतिनिधि इस समिति में निरीक्षक के रूप में उपस्थित रहेगा.
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इस स्कूल स्तर की फीस रेगुलेशन कमिटी में पांच अभिभावकों का चयन स्कूल की पेरेंट्स टीचर एसोसिएशन के सदस्यों में से लॉटरी प्रणाली के माध्यम से किया जाएगा, जिससे चयन प्रक्रिया में निष्पक्षता सुनिश्चित हो सके. यह समिति एक वर्ष के कार्यकाल के लिए गठित की जाएगी और स्कूल फीस में वृद्धि या इससे संबंधित किसी भी निर्णय को लेने की जिम्मेदारी संभालेगी.
अनुसूचित जनजाति समुदाय से होंगे अभिभावक
समिति में शामिल होने वाले पांच अभिभावकों में से कम से कम एक अभिभावक अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति समुदाय से होना अनिवार्य है. इसके साथ ही, स्कूल स्तर की समिति में कुल सदस्यों में से कम से कम दो महिलाएं भी होनी चाहिए.
सरकार के अनुसार, नए बिल में यह प्रावधान किया गया है कि स्कूल स्तर की फीस रेगुलेशन कमिटी फीस बढ़ाने के निर्णय कुछ मानकों के आधार पर लेगी. इनमें मुख्य रूप से स्कूल की इमारत की स्थिति, खेल के मैदान की गुणवत्ता, और स्कूल के पास उपलब्ध वित्तीय संपत्तियों या राशि का आकलन शामिल होगा.
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स्कूल की फीस बढ़ाने का निर्णय लेने से पहले कई महत्वपूर्ण पहलुओं पर विचार किया जाएगा. इनमें स्कूल की मौजूदा बुनियादी सुविधाएं, ग्रेड स्तर, शिक्षकों को दी जाने वाली वेतनमान की जानकारी, प्रॉफिट की स्थिति, लाइब्रेरी की गुणवत्ता और डिजिटल सुविधाओं की उपलब्धता शामिल हैं. इन सभी कारकों का समग्र मूल्यांकन करने के बाद ही फीस में वृद्धि का निर्णय लिया जाएगा.
रिविजन समिति तक का सिस्टम तैयार किया गया
यदि किसी को स्कूल स्तर की समिति के निर्णय को चुनौती देनी है, तो इसके लिए जिला फीस अपीलेट समिति और रिविजन समिति का प्रावधान किया गया है. जिला फीस अपीलेट समिति की अध्यक्षता जिले के उप शिक्षा निदेशक करेंगे.
समिति में जोन के डिप्टी डायरेक्टर सदस्य-सचिव के रूप में कार्य करेंगे, इसके साथ ही एक चार्टर्ड अकाउंटेंट और एक जिला लेखाकार पदाधिकारी भी शामिल होंगे, जो क्षेत्र के वित्तीय मामलों और खातों की निगरानी करेंगे. इसके अतिरिक्त, समिति में दो चुने हुए शिक्षक और दो अभिभावक भी शामिल होंगे.
यह समिति जिला स्तर पर फीस वृद्धि से संबंधित अपीलों की सुनवाई करेगी और 30 से 45 दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी. यदि अपीलकर्ता को जिला समिति के निर्णय से संतोष नहीं होता, तो मामला राज्य स्तर की समिति के पास भेजा जाएगा.
दिल्ली सरकार के शिक्षा विभाग के डायरेक्टर करेंगे अध्यक्षता
एक उच्च स्तरीय समिति का गठन राज्य स्तर पर किया जाएगा, जिसकी अध्यक्षता दिल्ली सरकार के शिक्षा विभाग के निदेशक करेंगे, जिन्हें शिक्षा मंत्रालय द्वारा नियुक्त किया जाएगा. इस समिति में कुल सात सदस्य होंगे, जिनमें एक प्रतिष्ठित शिक्षा विशेषज्ञ, एक चार्टर्ड अकाउंटेंट, लेखा नियंत्रक, निजी स्कूलों से संबंधित एक विशेषज्ञ, एक अभिभावक और शिक्षा निदेशालय के अतिरिक्त निदेशक शामिल हैं.
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यह समिति जिला स्तर पर लिए गए निर्णयों की समीक्षा करेगी और आवश्यकता पड़ने पर अंतिम निर्णय सुनाएगी. प्रत्येक स्कूल में स्कूल स्तर की समिति का गठन 15 जुलाई तक किया जाएगा. इसके बाद, यह समिति 31 जुलाई तक फीस से संबंधित प्रस्ताव तैयार कर प्रस्तुत करेगी, और इस प्रस्ताव पर समिति द्वारा 15 सितंबर तक अंतिम निर्णय लिया जाएगा. यदि समिति से कोई अतिरिक्त सुझाव नहीं आते हैं, तो प्रस्ताव को 30 सितंबर तक जिला स्तरीय समिति को भेजा जाएगा, ताकि वह समय पर अगली शैक्षणिक सत्र में लागू होने वाली फीस पर चर्चा कर सके और निर्णय ले सके.
पूरी प्रक्रिया को पारदर्शी बनाया गया
पीड़िता की मां ने कहा कि वह चाहती हैं कि आरोपियों को फांसी की सजा मिले, क्योंकि उम्रकैद मिलने पर वे जमानत पर बाहर आ सकते हैं. उन्होंने आरोपी शोएब को पहचाना, जो उनके पड़ोस में रहता है और जिकरा का मामा है. उनका पूरा परिवार गलत गतिविधियों में लिप्त है. मां को न्याय की उम्मीद है और उन्होंने स्पष्ट किया कि उनका बच्चा किसी भी गलत काम में शामिल नहीं था. उनका बच्चा निर्दोष था, वह गांधीनगर में काम करता था और उसने कुछ भी गलत नहीं किया.
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