सत्या राजपूत, रायपुर। ट्रांसफॉर्म रूरल इंडिया फाउंडेशन (TRI) द्वारा IIM रायपुर में आयोजित ‘इंडिया रूरल कोलोक्वी’ के पांचवें संस्करण ने छत्तीसगढ़ को हरित अर्थव्यवस्था के केंद्र में लाने की दिशा में “हरित अर्थव्यवस्था: गांवों के नेतृत्व में हरित आर्थिक क्रांति” का आयोजन किया गया, जिसमें ग्रामीण भारत को सतत विकास का आधार बनाने पर जोर दिया।

उप-मुख्यमंत्री विजय शर्मा ने वर्चुअल संबोधन में कहा, “छत्तीसगढ़ की 40% से अधिक वन भूमि हमारी सबसे बड़ी पूंजी है। गांवों में उद्योग और शहरों में उनके उत्पादों का व्यापार सतत विकास की कुंजी है।” समापन में डॉ. संजीव प्रशर, निदेशक, IIM रायपुर ने छत्तीसगढ़ को भारत की हरित अर्थव्यवस्था क्रांति का अगुआ बनाने की संभावना जताई।

सचिव मुख्यमंत्री राहुल भगत ने कहा कि हरित आर्थिक परिवर्तन अब हम सभी की साझी जिम्मेदारी है। परिवर्तन को अपनाने के लिए हमें मानसिक रूप से तैयार रहना होगा। तकनीकी सत्रों में मयंक अग्रवाल, आदित्य मल्होत्रा (CEEW), तन्मय मुखर्जी (रेनमैटर), और ऋचा शर्मा (अपर मुख्य सचिव, वन विभाग) जैसे विशेषज्ञों ने जल प्रबंधन, सामुदायिक भूमिका और नीतिगत दिशा पर विचार साझा किए।

कार्यक्रम का उद्घाटन डॉ. सरोज कुमार पानी, डीन, IIM रायपुर ने किया। उन्होंने छत्तीसगढ़ के संदर्भ में कृषि वानिकी, ग्रीन जॉब्स, स्वच्छ ऊर्जा, सामुदायिक सहभागिता और नीतिगत सुधारों को हरित अर्थव्यवस्था के प्रमुख स्तंभ बताया। श्रीश कल्याणी, एसोसिएट डायरेक्टर, TRI ने कहा, “छत्तीसगढ़ का समृद्ध हरित आवरण और सामुदायिक सहयोग इसे हरित क्रांति का आदर्श मॉडल बनाता है।

कार्यक्रम में ग्रामीण प्रतिनिधियों, जैसे मिथुन पटेल, शिवानी कश्यप, सरपंच वंदना लोधी, उद्यमी और सुमनी कश्यप, प्रगतिशील कृषक ने ग्रामीण पलायन, जल संरक्षण, प्रदूषण, और सरकारी योजनाओं की कमियों जैसे मुद्दों पर चर्चा की। निहारिका बारिक सिंह, प्रमुख सचिव, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने ‘मोर गांव मोर पानी’ जैसी पहलों को क्रांतिकारी बताया और गांवों को जल, स्वच्छता और हरियाली के आधार पर रैंक करने की बात कही।

आयोजन के दौरान राज्य जलवायु परिवर्तन केंद्र, वन विभाग और TRI के बीच एक महत्वपूर्ण MoU पर हस्ताक्षर हुए, जिसका उद्देश्य State Action Plan for Climate Change (SAPCC) को स्थानीय प्राथमिकताओं के साथ जोड़ना और NTFP, बांस आधारित उद्यम और ईको-टूरिज्म को बढ़ावा देना है।