शिखिल ब्यौहार। मध्य प्रदेश विधानसभा में अमूमन ऐसा कम ही होता है जब किसी मुद्दे पर बहस, हंगामा, प्रतिकार या विवाद न हो। लेकिन ऐसा कम ही होता है कि मुद्दों की गंभीरता तेज स्वरों से गूंजने वाले सदन में ऐसी शांति ला देती है कि मानो सुई की गिरने की आवाज भी दूर-दूर तक सुनाई दे जाए। मध्यप्रदेश विधानसभा की ऐसी दुर्लभ तस्वीर सोमवार को दिखाई दी। चिंतन जल संरक्षण से शुरू हुआ होते मध्यप्रदेश की जीवनदायिनी मां नर्मदा पर था। इस मामले पर पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल तमाम उन पक्ष-विपक्ष के उन जनप्रतिनिधियों को आईना दिखा रहे थे जो जल संरक्षण के लिए बड़ी-बड़ी बातें करते हैं।
विधानसभा सत्र में भोजन अवकाश के पहले खाद, किसानों की समस्या, आदिवासियों के मुद्दों पर गूंज उठी थी। दोपहर 03 बजे के बाद शाम की ओर बढ़ते दिन के साथ सदन की गर्म सियासत में मंथन भी गंभीर हो गया। जहां ग्रामीण एवं विकास विभाग मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल जल संरक्षण, संवर्धन, पर्यावरण को लेकर वक्तव्य दे रहे थे। उन्होंने कहा कि हम ताकतवर लोग पढ़े लिखे लोग कभी नदियों का उद्गम पर नहीं जाते। यह बेहद गंभीर बात है। प्रकृति के निकट रहने वाले लोगों ने ही प्रकृति की चिंता की है।
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नदियों को जीवित रखने के लिए उद्गम को संरक्षण करना होगा
उन्होंने आगे कहा कि हम अपने सिर्फ पानी की चिंता की, रेट की चिंता की, खनन की चिंता की। प्रदेश के 90 प्रतिशत की उद्गम जंगलों में स्थित हैं। हम पढ़े-लिखे में कभी भी पलट कर नहीं देखा कि उद्गम क्या होता है, उद्गम का संरक्षण कैसे होगा। नदियों को अगर जीवित रखना है तो उद्गम को संरक्षण करना होगा, वृक्षारोपण करना होगा। रेत को लेकर कई सवाल खड़े होते हैं। कई लोग खनन को गलत मानते हैं कई लोग खनन को सही मानते हैं।
मां नर्मदा की स्थिति चिंताजनक, हमें और आपको सोचना होगा
मंत्री पटेल ने सदन में कहा कि आज मां नर्मदा को देखकर मुझे जैसे व्यक्ति को काफी चिंता होती है। क्योंकि मैंने दो बार मां नर्मदा की परिक्रमा की है। दो-दो बार नर्मदा परिक्रमा के बाद आज ऐसा दृश्य देख रहा हूं जब लोग अमूमन साल में कई बार पैदल ही मां नर्मदा को पार कर लेते हैं। हमें मां नर्मदा की चिंता करनी होगी। हमें इस बात को समझना होगा कि मां नर्मदा का संरक्षण करना है तो पौधे लगाने होंगे। सिर्फ पौधों से ही मां नर्मदा में बूंद को दिया जा सकता है। यह बहुत बड़ा वैज्ञानिक तथ्य है। मां नर्मदा के महत्व को समझना होगा।
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मां नर्मदा के सम्मान का गंभीर चिंतन, लेकिन सरकार जिम्मेदार
नर्मदांचल की हरदा विधानसभा से कांग्रेस विधायक किशोर दोगने ने कहा कि मां नर्मदा के सम्मान के लिए गंभीर चिंतन के साथ मंत्री पटेल की बात सुनी। कई बातें और तर्क मंत्री के सही भी थे। लेकिन मां नर्मदा की ऐसी स्थिति का कारण भी सरकार है। कागजों में पॉलिसी से कैसे संरक्षण होगा। उन्होंने कहा कि तीन प्रदेशों को जीवन देने वाली मां नर्मदा के लिए केंद्र ने क्या किया। रेत खनन से परहेज नहीं है। प्रदेश में रेत का अवैध उत्खनन हो रहा है। तय मानकों से ज्यादा मां नर्मदा से रेत निकाली जा रही है। सरकार रेत की चोरी की जिम्मेदार है। मां नर्मदा की वर्तमान स्थित ठीक नहीं है। रेत के बेहिसाब खनन के कारण कई गहरी खाई में धारा तब्दील हो चुकी है। नर्मदा तट पर हुए अतिक्रमणों को लेकर सरकार चुप है तो सालों से लाखों-करोड़ों नाले-नालियां नर्मदा जल को दुषित कर रहे हैं।
हम सबने दोहन किया, अब सुधार भी हमारी जिम्मेदारी- मंत्री
मां नर्मदा को लेकर मंत्री नारायण सिंह कुशवाहा ने कहा कि यह बड़ा गंभीर विषय है। न सिर्फ पर्यावरण बल्कि धार्मिक दृष्टि से मां नर्मदा का विशेष महत्व है। प्रकृति ने हमें सब कुछ दिया, हमने इसका दोहन किया। मनुष्य ने अपनी जिम्मेदारी का निर्वाहन नहीं किया। यहीं कारण है कि सदन में आज दो घंटे तक मंथन किया गया। उन्होंने कहा कि सरकार अब इस दिशा में काम कर रही है। नर्मदा संरक्षण के लिए तीन विभाग संयुक्त रूप से काम करेंगे। इसमें पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग, नगरीय प्रशासन विभाग और सिंचाई विभाग संरक्षण के लिए विशेष प्लान पर काम करेगा।
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नर्मदा संरक्षण के लिए समाज भी आए आगे सीतासरन
नर्मदाचंल के होशंगाबाद से बीजेपी विधायक सीतासरन शर्मा ने कहा कि नर्मदा संरक्षण सिर्फ सरकार की नहीं बल्कि समाज की भी जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि तीन सालों के अंदर मां नर्मदा की तस्वीर ऐसी होगी कि लोग पैदल नहीं बल्कि नाव से ही धारा को पार कर पाएंगे। इसके लिए विस्तृत कार्ययोजना भी बनाई जा रही है।
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