Bhadrapada Month Significance: हिंदू पंचांग का छठा महीना भाद्रपद, जिसे आम बोलचाल में भादो कहा जाता है, 10 अगस्त रविवार से शुरू हो रहा है. यह महीना 7 सितंबर को पूर्णिमा के दिन समाप्त होगा. भाद्रपद मास अपने धार्मिक महत्व और व्रत-त्योहारों की श्रृंखला के कारण विशेष माना जाता है, लेकिन इसी महीने एक बड़ा सवाल अक्सर लोगों के मन में आता है, इस दौरान विवाह जैसे मांगलिक कार्य क्यों नहीं होते?

दरअसल, भाद्रपद मास चातुर्मास का दूसरा महीना होता है. पुराणों के अनुसार, इस समय भगवान विष्णु योग निद्रा में होते हैं. जब पालनहार ही विश्राम कर रहे हों, तो कोई भी शुभ कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन या नया व्यापार शुरू करना वर्जित माना जाता है. यही कारण है कि इस महीने न तो शहनाइयां गूंजती हैं और न ही मंडप सजते हैं.

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Bhadrapada Month Significance

Bhadrapada Month Significance

इस माह आएंगे कई प्रमुख त्योहार (Bhadrapada Month Significance)

भाद्रपद मास में धार्मिक रूप से कई प्रमुख व्रत-त्योहार आते हैं. कृष्ण जन्माष्टमी, गणेश चतुर्थी, हरतालिका तीज, परिवर्तिनी एकादशी और अनंत चतुर्दशी जैसे पर्व इसी महीने में मनाए जाते हैं. इस माह में श्रीकृष्ण और श्रीगणेश की विशेष पूजा का विधान है. श्रद्धालु इस पूरे मास में व्रत, कथा, भजन और दान-पुण्य के माध्यम से पुण्य अर्जित करते हैं.

यह महीना आस्था, भक्ति और संयम का प्रतीक माना जाता है. जीवन के बड़े निर्णयों को अगले शुभ काल तक स्थगित कर दिया जाता है. यही कारण है कि भाद्रपद मास को मांगलिक कार्यों के लिए निषेध कर दिया गया है.

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