कमल वर्मा, ग्वालियर। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की हाल ही में एक ऐसी मुलाकात की तस्वीर सामने आई, जो प्रदेश की राजनीति में चर्चा का विषय बन गई। दोनों के पांच साल बाद इस तरह मिलने और दिग्विजय सिंह की कसम टूटने के बाद कयासों का दौर शुरू होना शुरू हो गया। इस बीच दिग्विजय सिंह ने इस मामले पर बड़ा बयान देते हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया को अपने बेटे की तरह बताया है।
दरअसल, दिग्विजय सिंह कल ‘मोहब्बत की दुकान’ कार्यक्रम में शामिल होने ग्वालियर पहुंचे थे। जिसके बाद उन्होंने चुनाव आयोग, पहलगाम घटना समेत तमाम मुद्दों पर बात की और मीडिया के सवालों के जवाब दिए। उन्होंने इलेक्शन पर सवाल खड़े करते हुए कहा, “चुनाव आयोग निष्पक्षता से अपना काम नहीं कर रहा है। ऐसे में आने वाले बिहार के विधानसभा चुनाव सहित अन्य राज्यों के चुनाव भी संदेह के घेरे में हैं। हाल ही में उनके नेता राहुल गांधी ने जो बेंगलुरु की महादेवपुरा विधानसभा सीट में एक लाख से ज्यादा फर्जी वोटर का घोटाला पकड़ा है। उससे चुनाव आयोग की भूमिका संदिग्ध हो गयी है। बिहार के स्पेशल इन्टेसिव रिवीजन यानी एसआईआर भी शक के दायरे में है। क्योंकि एक झटके में 65 लाख वोटर मतदाता सूची से हटा दिए गए हैं। ऐसे में चुनाव आयोग को अपनी विश्वसनीयता जतानी होगी। वहीं भाजपा को भी आगे आकर इस मामले में सफाई देना चाहिए।”
एक सवाल के जवाब में दिग्विजय सिंह ने कहा कि मध्य प्रदेश में 2018 के विधानसभा चुनाव के दौरान मतदाता पुनर्निरीक्षण के दौरान 50 लाख फर्जी वोटर का पता लगाया गया था। स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के बारे में चुन आयोग को आम लोगों का भरोसा जीतना होगा।”
वहीं भोपाल में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के आग्रह पर मंच को एक साथ साझा करने के सवाल पर दिग्विजय सिंह ने कहा, “भले ही सिंधिया कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में चले गए हैं। लेकिन वह आखिरकार उनके पुत्र के समान हैं। उनके पिता के साथ मैंने काम किया है। उन्हें कांग्रेस ने सम्मान दिया, अब वह क्यों छोड़कर चले गए वो जानें।” उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस का मंच साझा करने की बात ग्वालियर में कहे थी न कि किसी निजी कार्यक्रमों के लिए।
पहलगाम में हुई आतंकी घटना पर केंद्र सरकार के रुख को पूर्व मुख्यमंत्री ने हैरानी भरा बताया। उनका कहना है कि मुंबई की आतंकी घटना के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री और गृहमंत्री का इस्तीफा हो गया था लेकिन पहलगाम की घटना के बाद किसी की जिम्मेदारी तय नहीं की गई। उन्होंने कहा कि कश्मीर के बेहद संवेदनशील लेकिन पर्यटन स्थल पर लोगों की भीड़ के बावजूद वहां न तो पुलिस तैनात थी न ही अर्धसैनिक बल तैनात थे। ऐसे में आतंकी आए और इतनी बड़ी घटना को अंजाम देकर चले गए यदि विदेश में इस तरह की घटना होती तो वहां के जिम्मेदार लोगों का इस्तीफा हो गया होता।
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