दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High-Court)ने डॉक्टर सुसाइड मामले में मृतक राजेंद्र सिंह के बेटे से हलफनामा प्रस्तुत करने का आदेश दिया है. राजेंद्र सिंह ने 2020 में आत्महत्या की थी, और इस मामले में एक आरोपी कपिल नागर ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर अपनी दोषसिद्धि को रद्द करने की मांग की है, यह कहते हुए कि उसने मृतक के बेटे के साथ समझौता कर लिया है. मामले की अगली सुनवाई 26 अगस्त को होगी. उल्लेखनीय है कि निचली अदालत ने इस मामले में आम आदमी पार्टी के पूर्व विधायक प्रकाश जरवाल सहित तीन व्यक्तियों को दोषी ठहराया था.
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जस्टिस अमित महाजन ने सोमवार को मृतक राजेंद्र सिंह के पुत्र हेमंत सिंह को निर्देश दिया कि वह 10 दिनों के भीतर एक हलफनामा प्रस्तुत करें, जिसमें यह स्पष्ट किया जाए कि वह याचिकाकर्ता कपिल नागर के साथ समझौते पर सहमत हो गए हैं.
वरिष्ठ वकील एन. हरिहरन, जो याचिकाकर्ता कपिल नागर का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, ने बताया कि मृतक के बेटे ने दोषियों हरीश जारवाल और कपिल नागर के साथ समझौता कर लिया है. एक वरिष्ठ वकील ने यह भी उल्लेख किया कि हाईकोर्ट ने 30 अगस्त, 2024 को हरीश जारवाल की दोषसिद्धि को इस समझौते के आधार पर पहले ही रद्द कर दिया है. इसके अतिरिक्त, यह दलील दी गई कि एक न्यूज चैनल द्वारा किए गए कालापानी नामक स्टिंग ऑपरेशन में मृतक का पर्दाफाश किया गया था, और इस स्टिंग ऑपरेशन का टेप आरोपपत्र का हिस्सा था, जिसे निचली अदालत ने ध्यान में नहीं लिया.
वरिष्ठ वकील ने तर्क प्रस्तुत किया कि निचली अदालत ने मृतक की डायरी का अवलोकन किया, जिसमें यह उल्लेख था कि दोषी उस पर दबाव बना रहे थे. इसके साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि मृतक के बेटे ने स्पष्ट रूप से बताया था कि दोषियों ने उसके पिता को कोई धमकी नहीं दी थी.
अदालत ने स्पष्ट किया कि हरीश जारवाल और कपिल नागर की भूमिकाएं और दोष अलग-अलग हैं. आरोप है कि याचिकाकर्ता ने मृतक को धमकी दी थी. पिछले वर्ष की शुरुआत में, हरीश जारवाल ने राउज एवेन्यू कोर्ट के 28 फरवरी, 2024 के फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें उन्हें आईपीसी की धारा 506 (आपराधिक धमकी) के तहत दोषी ठहराया गया था. यह भी उल्लेखनीय है कि धमकी देने वाले व्यक्ति के कहने पर यह मामला समझौता योग्य है.
हाईकोर्ट ने याचिका को स्वीकार करते हुए 28 फरवरी, 2024 के दोषसिद्धि के फैसले को याचिकाकर्ता की दोषसिद्धि की सीमा तक रद्द कर दिया. इसके साथ ही, हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को सोमवार से 8 सप्ताह के भीतर 30,000 रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया, जो दिल्ली पुलिस वेलफेयर सोसाइटी में जमा किए जाने हैं. कोर्ट ने यह भी कहा कि चूंकि राज्य मशीनरी सक्रिय हो चुकी है और समझौता काफी देर से हुआ है, इसलिए यदि याचिकाकर्ता को लागत का वहन करना पड़े, तो इससे न्याय की पूर्ति होगी.
इस मामले में 2020 में नेब सराय थाने में एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी. 28 फरवरी, 2024 को इस केस में ‘आप’ विधायक प्रकाश जरवाल, कपिल नागर और हरीश जरवाल को दोषी ठहराया गया.
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