नीरज काकोटिया, बालाघाट। जिले से एक ऐसी खबर सामने आई है, जहां एक मां की आंखें कई वर्षों से अपनी बेटी को देखने के लिये तरस रही थी। मां कह रही है बेटी घर आजा, मेरे साथ रह, अब मैं भी देख सकती हूं।

जिले के हर थाना क्षेत्र में एकल सुविधा केंद्र

दरअसल नक्सल प्रभावित क्षेत्र के ग्राम राशिमेटा की रहने वाली 80 साल की बुजुर्ग मां चमवेबाई पंद्रे अपनी नक्सली बेटी संगीता से घर लौट आने की भावुक अपील कर रही है। दिल को छू लेने वाली ये कहानी पुलिस की पहल से जुड़ी है। नक्सल प्रभावित बालाघाट जिले में पुलिस केवल सुरक्षा ही नहीं बल्कि सेवा का काम भी कर रही है। जिले के हर थाना क्षेत्र में एकल सुविधा केंद्र खोले गए हैं, जहां बैगा आदिवासियों के आधार कार्ड, मूल निवासी, जाति प्रमाण पत्र बनाए जा रहे हैं। स्वास्थ्य शिविर भी लगाए जा रहे हैं।

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40 लाख इनामी नक्सली संगीता की मां

ऐसा ही एक शिविर नक्सली प्रभावी ग्राम सोनगुड्डा में भी लगा। शिविर में एक बुजुर्ग महिला भी आंखों की जांच कराने पहुंची थी। जांच उपरांत पुलिस को पता चला यह महिला 40 लाख रुपए की इनामी नक्सली संगीता की मां है। पुलिस विभाग की मदद से उनका मोतियाबिंद का ऑपरेशन कराया गया और अब वे ठीक हैं। चमवेबाई ने कहा कि पुलिस ने मेरी आंखों का इलाज करवा दिया, अब मैं देख सकती हूं। बेटी, तू भी घर आ जा, मेरे साथ रह। उन्होंने पुलिस पर भरोसा जताया और बेटी संगीता से हिंसा का रास्ता छोड़कर लौट आने की अपील की है।

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गांव वापस लौटे और मां का सहारा बने

पुलिस अधीक्षक आदित्य मिश्रा ने कहा कि समाज के हर व्यक्ति को ये भरोसा होना चाहिए कि प्रशासन उनके साथ है। ये मैसेज संगीता तक जाएगा तो मुझे उम्मीद है कि उसकी मां खुद उसको सरेंडर करवाएगी। हम लगातार अपील कर रहे हैं कि नक्सली हथियार छोड़कर मुख्यधारा में जुड़े। नक्सली संगीता से भी कहते हैं कि वो गांव वापस लौट आए और मां का सहारा बने।

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