वीरेंद्र गहवई, बिलासपुर. हाईकोर्ट ने एक मामले में अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि हिंदू दत्तक ग्रहण एवं भरण-पोषण अधिनियम के तहत विधवा बहू पुनर्विवाह करने से पहले तक अपने ससुर से भरण-पोषण पाने की हकदार है। बता दें कि ससुर ने फैमिली कोर्ट के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील करते हुए बताया था कि वो पेंशन पर आश्रित है और बहू जॉब कर सकती है, लेकिन हाईकोर्ट ने उनकी दलील को खारिज करते हुए फैमिली कोर्ट के आदेश को सही ठहराया है।

दरअसल, कोरबा निवासी चंदा यादव की साल 2006 में गोविंद प्रसाद यादव से शादी हुई थी। साल 2014 में गोविंद सड़क हादसे का शिकार हो गया, जिससे उसकी मौत हो गई। इसके बाद ससुराल पक्ष से विवाद होने पर वो बच्चों के साथ अलग रहने लगी। चंदा ने ससुर तुलाराम यादव से हर महीने 20 हजार रुपए भरण-पोषण की मांग करते हुए कोरबा के फैमिली कोर्ट में याचिका लगाई। मामले में फैमिली कोर्ट ने 6 दिसंबर 2022 को आदेश दिया कि ससुर अपनी बहू को हर माह 2500 रुपए भरण-पोषण देगा। यह आदेश बहू के पुनर्विवाह करने तक प्रभावी रहेगा।

ससुर ने फैमिली कोर्ट के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की, जिसमें उन्होंने आदेश को चुनौती देते हुए बताया कि वह पेंशनभोगी है। उसकी आय सीमित है। बहू खुद भी नौकरी कर सकती है। उसने बहू पर अवैध संबंध के आरोप भी लगाए। दूसरी ओर बहू के वकील ने कहा कि उसके पास आय का कोई जरिया नहीं है और बच्चों की जिम्मेदारी भी उस पर है।

हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने और दस्तावेजों के अवलोकन के बाद कहा कि ससुर तुलाराम यादव को 13 हजार रुपए पेंशन मिलती है और परिवार की जमीन में भी हिस्सा है, जबकि बहू के पास न नौकरी है न संपत्ति से कोई हिस्सा मिला है, इसलिए वह ससुर से भरण पोषण पाने की हकदार है।