दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता (Rekha Gupta) पर 2 दिन पहले जनसुनवाई (Jansunwai) के दौरान बड़ा हमला हुआ था. हालांकि गनीमत रही कि उन्हें गंभीर चोट नहीं आई. घटना के तुरंत बाद उन्हें डॉक्टरों की निगरानी में रखा गया, जहां जांच और इलाज के बाद उनकी सेहत पूरी तरह ठीक बताई गई. अब सीएम रेखा गुप्ता शुक्रवार (22 अगस्त) से अपने आधिकारिक कार्यों की शुरुआत कर रही हैं और जनता के बीच लौट रही हैं.
दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता सिविल लाइंस स्थित अपने सरकारी आवास में रहती हैं. बीते बुधवार (20 अगस्त) की सुबह वहां जनसुनवाई के दौरान अचानक एक बड़ा हादसा हो गया. इस दौरान राजेश खिमजी नामक व्यक्ति ने उन पर हमला कर दिया. गनीमत रही कि सीएम को गंभीर चोट नहीं आई. इस घटना के दो दिन बाद अब उनके दिल्ली सचिवालय स्थित कार्यालय लौटने की संभावना जताई जा रही है. अधिकारियों का कहना है कि मुख्यमंत्री जल्द ही नियमित कामकाज की शुरुआत करेंगी.
हमलावर पर हत्या की कोशिश का केस दर्ज
दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता पर हुए हमले के मामले में पुलिस ने 41 वर्षीय आरोपी राजेशभाई खिमजी को वारदात के तुरंत बाद गिरफ्तार कर लिया था. आरोपी को कोर्ट में पेश किए जाने के बाद अदालत ने उसे पांच दिन की पुलिस रिमांड पर भेज दिया. पुलिस ने बताया कि उस पर हत्या की कोशिश समेत कई गंभीर धाराओं में मामला दर्ज किया गया है.
आज इन कार्यक्रमों में शामिल होंगी CM रेखा गुप्ता
मुख्यमंत्री कार्यालय के एक अधिकारी ने जानकारी दी कि दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता शुक्रवार सुबह 11:30 बजे गांधी नगर स्थित गारमेंट हब में आयोजित ‘वस्त्रिका’ कार्यक्रम में शिरकत करेंगी. इसके बाद शाम 4:00 बजे वह चाणक्यपुरी के अशोक होटल में उद्योग विभाग द्वारा आयोजित ‘आइडियाथॉन’ के ग्रैंड फिनाले में भी हिस्सा लेंगी.
‘दिल्ली को कभी अकेला नहीं छोड़ूंगी’
हमले के बाद पहली बार अपनी बात रखते हुए मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने साफ कहा कि उनका ‘जन सुनवाई’ कार्यक्रम अब हर विधानसभा क्षेत्र में आयोजित किया जाएगा और यह केवल उनके आवास तक सीमित नहीं रहेगा. उन्होंने दिल्लीवासियों को आश्वस्त करते हुए कहा, “मेरे जीवन का हर पल दिल्ली को समर्पित है. इन सभी अप्रत्याशित झटकों के बावजूद, मैं दिल्ली को कभी नहीं छोड़ूंगी.”
‘महिलाओं में कठिनाइयों से लड़ने की दोगुनी ताकत’
अपने पिता की सीख को याद करते हुए मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा- मैं जब कॉलेज में थी, तब पापा ने मुझे कार चलाने के लिए दी. एक दिन बड़ा एक्सीडेंट हो गया. मैं डर गई और मुझे दुबारा कार को हाथ लगाने से डर लगने लगा. तब पापा ने कहा कि जीवन में दुर्घटनाएँ होती रहती हैं, डरकर रुकना नहीं है. आप रास्ते पर चलना नहीं छोड़ सकती. आज उनकी वही सीख फिर याद आ रही है. कल फिर एक दुर्घटना हुई, लेकिन मैं दिल्लीवासियों के हितों के लिए लड़ना कभी नहीं छोड़ सकती. मेरे जीवन का हर क्षण और शरीर का हर कण दिल्ली के नाम है. मैं इन सभी अप्रत्याशित प्रहारों के बावजूद दिल्ली का साथ कभी नहीं छोड़ूँगी. वैसे भी, महिलाओं में तकलीफों से लड़ने की दोहरी ताक़त होती है. उन्हें अपने आप को साबित करने के लिए अनगिनत परीक्षाएँ देनी पड़ती हैं. मैं भी तैयार हूँ! अब जनसुनवाई केवल मेरे घर पर ही नहीं, दिल्ली की हर विधानसभा में होगी. आपकी मुख्यमंत्री, आपके द्वार.
“बाधाएं आती हैं आएं,
घिरें प्रलय की घोर घटाएं,
पांवों के नीचे अंगारे,
सिर पर बरसें यदि ज्वालाएं,
निज हाथों से हंसते-हंसते,
आग लगाकर जलना होगा,
कदम मिलाकर चलना होगा”
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