रायपुर। मेडिकल छात्रा के शारीरिक उत्पीड़न के आरोपित डाक्टर आशीष सिन्हा को हाईकोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट से भी झटका लगा है. सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस संजय कुमार एवं जस्टिस सतीश चंद्र की डबल बेंच ने हाईकोर्ट के आदेश में हस्ताक्षेप करने का कोई उचित आधार नहीं पाते हुए डॉ. सिन्हा की विशेष अनुमति याचिका को खारिज कर दिया.
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इसके पहले हाइकोर्ट ने डॉ. सिन्हा के अग्रिम जमानत आवेदन पर जारी अपने आदेश में कहा था कि आरोपी ऐसे अपराधों से संबंधित हैं, जो गंभीर और संवेदनशील हैं, जिनमें कार्यस्थल पर एक महिला की गरिमा और शारीरिक अखंडता शामिल है. एफआईआर किसी भी तरह से प्रेरित या विलंबित नहीं लगती है.

मामले की सुनवाई उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रमेश कुमार सिन्हा की एकलपीठ में हुई थी. जिसमें याचिकाकर्ता डॉक्टर आशीष सिन्हा ने अपने खिलाफ दर्ज एफआईआर में लगे आरोप को खारिज करते हुए सरकारी कर्मचारी होने और गिरफ्तार किए जाने पर करियर बर्बाद होने की दुहाई दी थी. उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश ने मामले में दोनों पक्षों को गंभीरता से सुनने के बाद अपना फैसला सुनाया.

जानिए पूरा मामला
पंडित जवाहरलाल नेहरू स्मृति मेडिकल कॉलेज, रायपुर के कम्युनिटी डिपार्टमेंट के प्रोफेसर डॉ. आशीष सिन्हा पर उनकी ही विभाग की द्वितीय वर्ष की छात्रा ने यौन उत्पीड़न, छेड़छाड़ और मानसिक प्रताड़ना के गंभीर आरोप लगाते हुए मौदहापारा थाना पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी.
छात्रा के अनुसार, डॉ. सिन्हा उसे बार-बार अपने केबिन में बुलाते थे और वहां शारीरिक छेड़छाड़ (बैड टच) करते थे. विरोध करने पर उन्होंने इंटरनल एग्जाम में फेल करने की धमकी भी दी. छात्रा ने यह भी आरोप लगाया कि डा. सिन्हा डिजिटल माध्यमों से भी उसे आपत्तिजनक प्रस्ताव देते रहे. यह उत्पीड़न सालभर से जारी था.
जनवरी में हो चुकी थी शिकायत
प्रोफेसर डॉ. आशीष सिन्हा पर छात्रा ने जनवरी 2025 में डायरेक्टर मेडिकल एजुकेशन (डीएमई) को पूरे घटनाक्रम की लिखित जानकारी दी थी, लेकिन जांच में डॉ. सिन्हा को क्लीन चिट दे दी गई. इस दौरान छात्रा ने विभाग के अन्य स्टाफ से भी मदद मांगी, पर किसी ने सामने आने से इनकार कर दिया.
शिकायत के बाद भी नहीं थमी हरकतें
इसके बाद छात्रा ने कॉलेज की विशाखा कमेटी में यौन उत्पीड़न की शिकायत दर्ज कराई. जांच में आरोपों को गंभीर मानते हुए डॉ. सिन्हा को एचओडी के पद से हटा दिया गया, लेकिन इसके बाद भी उनकी हरकतें बंद नहीं हुईं. लगातार परेशान होने के बाद युवती ने आखिरकार मौदहापारा थाने में एफआइआर दर्ज करवाई थी.
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