दिल्ली की एक अदालत ड्यूटी में लापरवाही बरतने वाले एक पुलिस अधिकारी पर सुनवाई के दौरान भड़क गई और उस पर 10 हजार रुपए का जुर्माना लगा दिया। साथ ही अदालत ने कहा कि इस अधिकारी को बचाने के लिए अगर उसका ट्रांसफर किसी अन्य थाने में किया जाएगा तो जुर्माने की रकम संबंधित थाना प्रभारी को भरना होगी। अधिकारी के खिलाफ यह कार्रवाई पॉक्सो मामले में FSL (फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला) की रिपोर्ट मिलने के बावजूद पूरक आरोपपत्र दाखिल न करने को लेकर की गई है। हालांकि, कोर्ट के सामने बाद में यह बात रखी गई कि FSL रिपोर्ट और मामले से संबंधित अन्य दस्तावेजों के साथ एक नया पूरक आरोपपत्र अदालत में दाखिल किया गया था।
5 अगस्त को दिए अपने आदेश में अदालत ने एफएसएल निदेशक के उस शुरुआती जवाब पर गौर किया, जिसमें उन्होंने बताया था कि पुलिस अधिकारी ने 3 अप्रैल को ही रिपोर्ट प्राप्त कर ली थी। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, ‘चूंकि एफएसएल रिपोर्ट प्राप्त करने के बावजूद अब तक पूरक आरोपपत्र दाखिल न करने के बारे में जांच अधिकारी (आईओ) और संबंधित थाना प्रभारी (एसएचओ) द्वारा कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया गया है, इसलिए अदालत आईओ, महिला सब-इंस्पेक्टर राजवीर पर जुर्माना लगाना उचित समझती है।’
साथ ही अदालत ने कहा कि अगर आईओ का किसी अन्य पुलिस स्टेशन में तबादला किया जाता है, तो नेब सराय के एसएचओ को जुर्माना भरना होगा। सुनवाई के दौरान, अदालत ने पाया कि मामले में पूरक आरोपपत्र और अन्य प्रासंगिक दस्तावेज दाखिल कर दिए गए हैं। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 19 सितंबर के लिए तय की है।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश मोना तारडी केरकेट्टा की अदालत ने नेब सराय पुलिस द्वारा पॉक्सो (यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण) अधिनियम की धारा 6 (गंभीर यौन उत्पीड़न) के तहत दर्ज एक मामले की सुनवाई के दौरान यह जुर्माना लगाने का आदेश दिया।
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