आज झारखंड एटीएस की टीम खूंखार गैंगस्टर मयंक सिंह को रांची से रामगढ़ ले गई हैं. बता दें कि, आधी रात को अजरबैजान के बाकू में कैद मयंक सिंह को झारखंड ATS के हवाले कर दिया गया था. देर रात एयरपोर्ट पर प्रत्यर्पण की पूरी प्रक्रिया पूरी हुई थी. जिसके तुरंत बाद ही झारखंड एटीएस की टीम मयंक सिंह को लेकर फ्लाइट से दिल्ली रवाना हुई थी और अब यहां रांची से उसे कड़ी सुरक्षा के बीच रामगढ़ कोर्ट में पेश किया गया. जिसके बाद झारखंड ATS उसे रिमांड पर लेगी.

मालूम हो कि पिछले साल बाकू पुलिस ने मयंक सिंह को हिरासत में लिया था. तब से वह जेल में बंद था. मयंक सिंह इंटरपोल की रेड कॉर्नर नोटिस सूची में शामिल था और झारखंड का पहला ऐसा गैंगस्टर है जिसे विदेश से गिरफ्तार कर प्रत्यर्पित किया गया.

झारखंड, राजस्थान और पंजाब में था खौफ

मयंक सिंह का आपराधिक इतिहास काफी लंबा हैं. वह गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई का करीबी माना जाता था और बाद में पुलिस मुठभेड़ में मारे गए अपराधी अमन साहू के साथ मिलकर झारखंड में आतंक फैलाया. भारत से फरार होने से पहले उसने राजस्थान, पंजाब और हरियाणा में कई गंभीर अपराधों को अंजाम दिया.

गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई गैंग और अमन साहू से रिश्ता

पुलिस सूत्रों का कहना है कि मयंक सिंह का सीधा कनेक्शन लॉरेंस बिश्नोई गैंग और झारखंड के कुख्यात गैंगस्टर अमन साहू से है। यही कारण है कि उसे पुलिस के लिए बड़ा खतरा माना जाता था। वो विदेश से भी अपने गुर्गों को निर्देश देता था और रंगदारी के लिए फोन कॉल्स करवाता था। इंटरपोल की मदद से झारखंड पुलिस ने पहले उसका लोकेशन ट्रैक किया। फिर भारत सरकार के विदेश मंत्रालय और सीबीआई की इंटरपोल शाखा के सहयोग से उसका प्रत्यर्पण संभव हो सका। कई महीनों की मेहनत और कानूनी प्रक्रिया के बाद आखिरकार पुलिस को सफलता मिली है।

इंटरनेट कॉल से कारोबारी बनते थे शिकार

भारत से बाहर रहने के बावजूद मयंक सिंह ने अपराध की अपनी पकड़ ढीली नहीं होने दी. वह कारोबारियों को इंटरनेट कॉल के जरिए धमकाकर वसूली करता था. उसका नाम आते ही कारोबारी बिना पुलिस को खबर दिए पैसा पहुंचा देते थे. सोशल मीडिया पर भी वह अपनी ताकत दिखाने में पीछे नहीं रहता था और अक्सर हथियारों से लैस तस्वीरें साझा करता था.

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