शिखिल ब्यौहार, भोपाल। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल की दो मस्जिदों को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। जिला प्रशासन ने इन्हें अवैध बताते हुए हटाने का आदेश दिया है। लेकिन कुछ मुस्लिम धर्मावलंबी इस आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट चले गए हैं। हिंदू संगठन इन्हें तुरंत हटाने की मांग पर अड़े हैं। आखिर मस्जिदों को लेकर इतना बड़ा टकराव क्यों?

हाईकोर्ट में रिट पिटीशन दाखिल

दरअसल भोपाल में दिलकश मस्जिद और भदभदा मस्जिद अब विवाद के केंद्र में हैं। जिला प्रशासन ने 4 जुलाई को नोटिस जारी कर कहा कि ये मस्जिदें कब्जे की जमीन पर बनी हैं। आदेश में साफ लिखा है कि इन्हें हटाया जाए वरना प्रशासन बलपूर्वक कार्रवाई करेगा। मुस्लिम धर्मालंबियों का दावा है कि मस्जिदें उनकी वैध संपत्ति और उनके पास सभी दस्तावेज मौजूद हैं। नेशनल ग्रीन टिब्यूनल (NGT) ने भी वक्फ बोर्ड को इस मामले में पक्षकार माना, लेकिन स्थगन आदेश देने से मना कर दिया। अब मामले में हाईकोर्ट में रिट पिटीशन दाखिल की गई है। मुस्लिम नेता दानिश खान ने कहा इन मस्जिदों का 100 साल से भी अधिक का इतिहास है। जब यह भदभदा रोड नहीं थी। यदि, इन मस्जिदों के हम आखिरी सांस तक लड़ाई लड़ेंगे।

अतिक्रमण में मंदिर और समाधियां भी शामिल

प्रशासन का तर्क है कि बड़ा तालाब की लाइफलाइन बचाने के लिए ये कदम उठाए गए हैं। डॉ. अर्चना शर्मा, एसडीएम टीटी नगर ने कहा- तालाब के 50 मीटर शहरी और 250 मीटर ग्रामीण दायरे में कोई भी स्थायी निर्माण गैरकानूनी है। सर्वे रिपोर्ट में 35 और अतिक्रमण सामने आए हैं जिनमें मंदिर और समाधियां भी शामिल हैं। वक़्फ बोर्ड की तरफ से डीएम कौशलेन्द्र विक्रम सिंह को अवगत कराया गया है, हमें बिना सुने कार्यवाही न की जाए। आदेश एनजीटी का है और कार्रवाई कानून के मुताबिक ही होगी।

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लव या लैंड जिहाद सरकार पनपने नहीं देगी

दोनों मस्जिद को लेकर हिंदू संगठन भी अब सख्त हो गए हैं। चंद्रशेखर तिवारी, अध्यक्ष संस्कृति बचाओ मंच का कहना है कि वक्फ बोर्ड तालाब को भी वक्फ संपत्ति बता देगा, इसलिए मस्जिद तुरंत हटनी चाहिए। मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने दो दिन पहले एक कार्यक्रम में अपने बयान में साफ कर दिया था कि लव जिहाद हो या लैंड जिहाद यह मध्यप्रदेश किसी कीमत पर पनपने नहीं देंगे। हमारी सरकार छोड़ने वाली नहीं। सबको ठिकाने लगाएगी।

आदेश एनजीटी का और कार्रवाई कानून के मुताबिक

सरकार ने भी साफ कर दिया है कि लैंड जिहाद किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। आदेश एनजीटी का है और कार्रवाई कानून के मुताबिक होगी। जाहिर है मस्जिद का भविष्य अब अदालत की सुनवाई पर निर्भर है। देखना होगा कि प्रशासन नोटिस पर कार्रवाई करता है या वक्फ बोर्ड अपने दस्तावेजों से इन्हें बचा पाता है।

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