देहरादून. धामी सरकार ने विधानसभा में “उत्तराखण्ड अल्पसंख्यक शिक्षा विधेयक-2025” पास किया था. ऐसे में प्रदेश के मदरसों को बिना नोटिस दिए बंद किया जा रहा है. जिसे लेकर उत्तराखंड हाईकोर्ट ने धामी सरकार को नोटिस जारी किया है और 6 हफ्तों के भीतर जवाब देने के निर्देश दिए हैं.
इसे भी पढ़ें- ‘स्वदेशी अपनाओ, राष्ट्र को आगे बढ़ाओ’ अभियान : सीएम धामी ने प्रदेशवासियों से की स्वदेशी उत्पाद अपनाने की अपील, बाजार और दुकानों में लगाए स्टीकर
बता दें कि जमीयत उलमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने हाईकोर्ट में मदरसों को बंद करने के खिलाफ याचिका दायर किया था. याचिका में उन्होंने कहा, ये कार्रवाई मुसलमानों के संवैधानिक अधिकारों पर हमला है. मदरसों को गैरकानूनी ठहराकर बंद कराना एक गहरी साजिश है. धार्मिक अल्पसंख्यकों को अपने शैक्षणिक संस्थान चलाने का संविधान से अधिकार प्राप्त है. कोर्ट ने धामी सरकार से 6 हफ्ते के भीतर मांगा है.
इसे भी पढ़ें- नशे के खिलाफ तैयार है एक्शन प्लानः ड्रग्स फ्री उत्तराखण्ड अभियान को लेकर CM धामी सख्त, अधिकारियों को दिए ये निर्देश…
जानिए विवाद की असल वजह
धामी सरकार ने विधानसभा में “उत्तराखण्ड अल्पसंख्यक शिक्षा विधेयक-2025” पास किया था. सीएम धामी ने कहा था कि इस विधेयक के लागू होने के साथ ही मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम तथा गैर-सरकारी अरबी और फारसी मदरसा मान्यता नियम 1 जुलाई 2026 से समाप्त हो जाएगा. अब सिख, जैन, ईसाई, बौद्ध एवं पारसी समुदायों के शैक्षिक संस्थानों को भी पारदर्शी मान्यता प्राप्त होगी. यह न केवल शिक्षा की गुणवत्ता को सुदृढ़ करेगा, बल्कि विद्यार्थियों के हितों की सुरक्षा भी सुनिश्चित करेगा.
मुख्यमंत्री ने कहा था कि अब सरकार को अल्पसंख्यक शिक्षा संस्थानों के संचालन की प्रभावी निगरानी और आवश्यक निर्देश जारी करने का अधिकार प्राप्त होगा. निश्चित तौर पर यह विधेयक शिक्षा को नई दिशा देने के साथ ही राज्य में शैक्षिक उत्कृष्टता और सामाजिक सद्भाव को भी और सुदृढ़ करेगा.
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- उत्तर प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें