रायपुर। राजधानी रायपुर सहित पूरे प्रदेश में उड़िया समाज ने गुरुवार को पारंपरिक उल्लास और आस्था के साथ नुआखाई पर्व मनाया. इस अवसर पर समाज के लोगों ने नई फसल से तैयार अन्न को सबसे पहले देवी-देवताओं को अर्पित कर प्रदेश और समाज की सुख-समृद्धि व शांति की प्रार्थना की.

सामाजिक कार्यकर्ता एवं अधिवक्ता भगवानू नायक ने कार्यक्रम में शामिल होकर कहा कि रायपुर में उड़िया समाज श्रमशक्ति की सबसे बड़ी शक्ति है, जो छत्तीसगढ़ के विकास में अहम योगदान दे रहा है. उन्होंने नुआखाई के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा, “नुआखाई केवल पर्व नहीं बल्कि जीवन जीने की पद्धति है. यह हमें प्रकृति की पूजा और उसके प्रति आभार व्यक्त करने का अवसर देता है.”

नायक ने आगे कहा कि यह महापर्व आपसी भाईचारे, सामाजिक एकता और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है. पूर्वजों से मिली यह धरोहर भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग है और मानव व प्रकृति के सह-अस्तित्व का संदेश देती है.

पर्व के अवसर पर समाज के लोग पारंपरिक वस्त्रों में सजधजकर एक-दूसरे से मिले, बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद लिया और नए अन्न से बने भोग-प्रसाद का सेवन किया. पूरे आयोजन ने सामुदायिक एकता और सांस्कृतिक पहचान को और सशक्त किया.

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