पटना। बिहार की राजनीति में एक और बड़ा राजनीतिक मोड़ सामने आया जब पूर्व मंत्री तेज प्रताप यादव ने राज्य की राजनीति में नई दिशा की ओर इशारा किया। एक प्रेस वार्ता में तेज प्रताप ने घोषणा की कि वह अब राजद (RJD) के सदस्य नहीं हैं और महागठबंधन के लोगों के साथ मिलकर राज्य के विकास के लिए काम करेंगे। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि वह अपने पिता लालू यादव के दृष्टिकोण को लेकर “स्मार्ट गांव” बनाने की दिशा में काम करेंगे, न कि स्मार्ट शहरों के पीछे भागेंगे।
मीडिया को दिया बड़ा बयान
तेज प्रताप यादव का यह बयान बिहार की राजनीति के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि उनके और राजद के बीच राजनीतिक तनाव पहले से ही सार्वजनिक था। तेज प्रताप, जो लालू यादव के बड़े बेटे हैं, अक्सर अपने पिता और पार्टी के नेतृत्व से असहमत रहे हैं और यह बयान उस असहमति की ओर इशारा करता है।
स्मार्ट गांव की परिकल्पना
तेज प्रताप यादव ने कहा कि उनके पिता ने हमेशा कहा था कि बिहार में स्मार्ट शहर नहीं, बल्कि स्मार्ट गांवों की जरूरत है। उनका यह बयान राज्य की मौजूदा विकास नीति पर एक सशक्त सवाल उठाता है, जहां अधिकतर ध्यान शहरों के विकास पर केंद्रित किया गया है। तेज प्रताप ने यह वादा किया कि वह राज्य के गांवों को एक नई दिशा देने के लिए काम करेंगे और स्मार्ट गांवों का निर्माण करेंगे। उनका कहना था कि राज्य के गांवों में भी बुनियादी सुविधाओं का अभाव है और इनकी स्थिति को सुधारने की जरूरत है।
अब आगे क्या करेंगे तेज प्रताप
तेज प्रताप का यह कदम बिहार के राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में एक महत्वपूर्ण घटना मानी जा रही है। उनका महागठबंधन में शामिल होना, बिहार में आने वाले विधानसभा चुनावों के लिए एक नया समीकरण पेश करता है। साथ ही, यह सवाल भी खड़ा करता है कि क्या तेज प्रताप का यह कदम महागठबंधन को मजबूती देगा या उनकी पार्टी में पहले से ही चल रहे गुटबाजी के संकेत हैं।
राजद से असहमति और महागठबंधन में भविष्य
राजद में अपनी स्थिति को लेकर लंबे समय से असंतुष्ट चल रहे तेज प्रताप ने यह बयान उस समय दिया है जब राज्य में आगामी विधानसभा चुनावों की चर्चा जोरों पर है। तेज प्रताप का यह कदम महागठबंधन को एक नया राजनीतिक दृष्टिकोण दे सकता है, विशेष रूप से उस समय जब बिहार की राजनीति में कई दलों के गठबंधन और उनके राजनीतिक लक्ष्यों को लेकर सवाल उठ रहे हैं।
तेज प्रताप का यह भी कहना था कि वह महागठबंधन के साथ मिलकर बिहार के विकास में अहम भूमिका निभाएंगे। उनके लिए यह एक नया राजनीतिक चेहरा हो सकता है, जो महागठबंधन की राजनीति में कुछ नई जान डाल सकता है।
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