अफगानिस्तान में भूकंप के बाद हालात बदहाल हैं। हजारों लोगों की जान जा चुकी है। इसमें सबसे ज्यादा मुसीबत महिलाओं के लिए हो रही है। असल में अफगानिस्तान में कानून है कि गैर पुरुष महिलाओं को छू नहीं सकते। इसके चलते बचाव कार्य के दौरान महिलाओं को मलबे में ही छोड़ दिया जा रहा है। तालिबान शासन में जेंडर रूल महिलाओं की जान के लिए मुसीबत बन गया है। बता दें कि अफगानिस्तान भूकंप के चलते करीब 2200 लोग मारे जा चुके हैं। हर तरफ मलबा फैला हुआ है और लोग जिंदगी के लिए जूझ रहे हैं।

नहीं हैं महिला बचावकर्मी

अफगानिस्तान में महिला बचावकर्मियों की कमी है। इसके चलते महिला पीड़ितों के सामने खासी मुसीबत हो गई है। जो महिलाएं मलबे में फंसी हुई हैं, उन्हें उनके हाल पर छोड़ दिया गया है। वहीं, जिन महिलाओं की मौत हो गई है, उन्हें भी कपड़ों से पकड़कर खींचा जा रहा है। न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक भूकंप पीड़ितों में से एक बीबी आयशा हैं। उनका गांव कुनार प्रांत में हैं। आयशा ने कहा कि बचावकर्मी हमें जुटाकर किसी कोने में छोड़ देते हैं। इसके बाद हमें भुला दिया जाता है। महिलाओं की मदद करना तो दूर, कोई उन्हें पूछ तक नहीं रहा।

जैसे महिलाएं अदृश्य हैं

तहजीबुल्ला महजेब वॉलंटियर टीम के सदस्य हैं। बचाव कार्य को लेकर उन्होंने कहा कि जैसे महिलाएं अदृश्य हैं। बचाव कार्य करने वाली टीम में लोग महिलाओं को बचा ही नहीं रहे हैं। सबसे पहले पुरुषों और बच्चों को बचाया जा रहा है। वहीं, महिलाएं एक तरफ बैठी रहती हैं और अपने लिए मदद का इंतजार करती हैं। तहजीबुल्ला ने कहा कि पुरुष रिश्तेदारों के नहीं होने के चलते अजनबी बचावकर्मी उन्हें कपड़ों से पकड़कर खींच रहे हैं, ताकि स्किन टच न हो।

महिलाओं की हालत है खराब

गौरतलब है कि अफगानिस्तान में तालिबान शासन के दौरान महिलाएं मूल अधिकारों तक से वंचित हैं। तालिबान ने दूसरी बार जब अफगानिस्तान में शासन शुरू किया तो महिलाओं को ज्यादा अधिकार देने की बात कही थी। हालांकि अभी तक वह अपनी इस बात पर खरा नहीं उतरा है। यहां पर छठवीं क्लास के बाद लड़कियां स्कूल नहीं जा सकती हैं। वहीं, पुरुष साथी के बिना बहुत दूर तक की यात्रा करने की इजाजत भी महिलाओं को नहीं है। बहुत सारी नौकरियों में भी उन्हें मौका नहीं मिल रहा है।

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