भले ही आज की आधुनिक जीवनशैली में कुर्सी और टेबल आम हो गए हैं, लेकिन अगर हम दिन में एक बार भी जमीन पर बैठकर भोजन करें, तो इससे न केवल शरीर स्वस्थ रहता है, बल्कि मन भी शांत और संतुलित होता है.
हमारी पारंपरिक जीवनशैली में जो बातें शामिल थीं, उनमें वैज्ञानिक आधार भी छिपा हुआ था. जमीन पर बैठकर खाना सिर्फ एक सांस्कृतिक परंपरा नहीं, बल्कि स्वास्थ्य के लिहाज से भी काफी फायदेमंद है. आइए विस्तार से जानते हैं जमीन पर बैठकर भोजन करने के कुछ महत्वपूर्ण फायदे.
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नीचे बैठकर खाने के फायदे
पाचन में सुधार करता है: जमीन पर बैठने की मुद्रा, जिसे ‘सुखासन’ कहा जाता है पाचन तंत्र के लिए बहुत अनुकूल मानी जाती है. जब आप इस मुद्रा में बैठते हैं और थोड़ा आगे झुककर भोजन करते हैं, तो यह हल्की-सी “प्राकृतिक योग मुद्रा” बन जाती है, जिससे पेट और आंतों पर सकारात्मक असर पड़ता है.
लचीलापन बढ़ाता है: जमीन पर बैठने से आपके पैरों, कूल्हों और रीढ़ की हड्डी में लचीलापन आता है. यह मुद्रा मांसपेशियों और जोड़ों को सक्रिय रखती है, जिससे उम्र बढ़ने के साथ होने वाली जकड़न कम होती है.
मन की शांति और फोकस में वृद्धि: जमीन पर बैठकर भोजन करने से मानसिक एकाग्रता बढ़ती है. यह एक तरह का मेडिटेटिव अनुभव बन जाता है, जो तनाव कम करने और मन को शांत करने में मदद करता है.
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वजन नियंत्रण में मददगार: जमीन पर बैठकर खाना धीरे-धीरे और ध्यान से खाया जाता है, जिससे ओवरईटिंग की संभावना कम हो जाती है. इससे वजन को नियंत्रण में रखना आसान होता है.
शरीर का संतुलन और मुद्रा सुधारता है: यह मुद्रा शरीर को स्वाभाविक संतुलन की स्थिति में लाती है. रीढ़ सीधी रहती है और मुद्रा में सुधार आता है, जो पीठदर्द जैसी समस्याओं से बचाने में सहायक होता है.
ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है: जमीन पर बैठने से पैरों और शरीर के अन्य हिस्सों में रक्त संचार संतुलित रूप से होता है. इससे नसों में खिंचाव या ब्लॉकेज जैसी समस्याएं कम होती हैं.
भारतीय परंपरा और जुड़ाव का एहसास: यह तरीका हमारे सांस्कृतिक मूल्यों से जुड़ने का अवसर भी देता है. परिवार के साथ एक साथ जमीन पर बैठकर खाना खाने से सामाजिक जुड़ाव और अपनापन बढ़ता है.
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