कांकेर। नक्सल प्रभावित कांकेर जिले का सबसे पुराना और बड़ा ग्राम पंचायत होने के बावजूद बांदे बुनियादी सुविधाओं से भी वंचित है. यहां तक कि मौत हो जाने के बाद यहां शव वाहन तक को लोग तरस जाते हैं और ऐसी मुश्किल घड़ी में वे क्या करें, उन्हें समझ में नहीं आता.

अभी हाल ही में बांदे अस्पताल में इलाज के दौरान इरनापार के एक युवक की मौत हो गई, जिसके शव को ले जाने के लिए शव वाहन नहीं मिला, आखिरकार परिजन जैसे-तैसे शव को ट्रैक्टर में लेकर गए. लोगों का कहना है कि जो लोग सक्षम हैं, वे तो शव को किराए के वाहन से ले जाते हैं, लेकिन आर्थिक रूप से कमजोर लोग साइकिल या खाट तक पर शव ले जाने को मजबूर हो जाते हैं.

स्थानीय लोगों ने प्रशासन से बांदे अस्पताल में शव वाहन की व्यवस्था करने की मांग की है. लोगों का ये भी कहना है कि उनकी ये मांग कोई नई नहीं है, बल्कि वे कई बार शासन-प्रशासन से शिकायत कर चुके हैं, मगर आज तक कोई नतीजा नहीं निकला.