गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत को महाराष्ट्र के राज्यपाल का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है. यह पदभार मिलते ही उनका एक बार फिर ‘कॉमन मैन’ अवतार सामने आया है। सीपी राधाकृष्णन के उपराष्ट्रपति बनने के बाद उन्हें यह अतिरिक्त कार्यभार दिया गया है। रविवार सुबह आचार्य देवव्रत अपनी पत्नी के साथ वीआईपी काफिले की बजाए ट्रेन से मुंबई के लिए रवाना हुए। बता दें कि, अचार्य देवव्रत ने गुजरात में लाखों किसानों को प्राकृतिक खेती सिखाकर बड़ी सुर्खियों बटोरी हैं। राज्यपाल आचार्य देवव्रत इससे पहले गांधीनगर से आणंद तक रोडवेज बस में पहुंचे थे।
वह कई मौकों पर बेहद सादगी वाले अंदाज में सामने आ चुके हैं। आचार्य देवव्रत ने एक्स पर एक वीडियो में यह जानकारी दी कि यह तेजस एक्सप्रेस पर मुंबई जा रहे हैं। जहां वह महाराष्ट्र के राज्यपाल की अतिरिक्त जिम्मेदारी संभालेंगे। मुंबई-अहमदाबाद के बीच चलाने वाली तेजस एक्सप्रेस सुबह 6:40 बजे गुजरात से छूटती है और दोपहर बाद 1.20 बजे मुंबई सेंट्रल पहुंचती है। तेजस की यात्रा कुछ 6 घंटे 40 मिनट की है।
महाराष्ट्र राज्यपाल कार्यालय की जानकारी
महाराष्ट्र के राज्यपाल कार्यालय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर उनकी यात्रा से जुड़ी फोटो और वीडियो शेयर किए. इसमें आचार्य देवव्रत और उनकी पत्नी तेजस एक्सप्रेस में सफर करते दिखाई दे रहे हैं. फोटो के कैप्शन में लिखा गया, “गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत, जिन्हें महाराष्ट्र के राज्यपाल का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है, रविवार सुबह तेजस एक्सप्रेस से अहमदाबाद से मुंबई के लिए रवाना हुए.”
राष्ट्रपति ने सौंपा अतिरिक्त प्रभार
सीपी राधाकृष्णन के उपराष्ट्रपति चुने जाने के बाद महाराष्ट्र के राज्यपाल पद से इस्तीफा दे दिया. इसके बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत को महाराष्ट्र के राज्यपाल का अतिरिक्त प्रभार सौंपा. आईएएनएस के अनुसार, राष्ट्रपति के प्रेस सचिव अजय कुमार सिंह ने 11 सितंबर को आधिकारिक आदेश जारी किया. प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि यह नियुक्ति उनके वर्तमान कर्तव्यों के अतिरिक्त महाराष्ट्र के राज्यपाल के कार्यों का निर्वहन करने के लिए की गई है.
हरियाणा के रहने वाले हैं आचार्य देवव्रत?
आचार्य देवव्रत मूल रूप से हरियाणा के रहने वाले हैं। उनके जीवन पर आर्य समाज के शिक्षाओं और स्वामी दयानंद का गहरा प्रभाव है। रोहतक में जन्म आचार्य देवव्रत गुजरात की प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय गुजरात विद्यापीठ के कुलाधिपति भी हैं। राज्यपाल बनने से पहले देवव्रत कुरुक्षेत्र में स्थित एक गुरुकुल के प्राचार्य थे। सरकार ने पहले उन्हें हिमाचल का राज्यपाल बनाया था। इसके बाद उन्हें 2019 में गुजरात की जिम्मेदारी सौंपी थी। जब जगदीप धनखड़ ने इस्तीफा दिया था तो उपराष्ट्रपति के संभावित नामों में उनका भी जिक्र हुआ था। प्राकृतिक खेती को मिशन बनाने में जुट आचार्य देवव्रत काफी सात्विक जीवन जीते हैं। उनकी पहल पर गुजरात के हालोल में देश का पहला प्राकृतिक कृषि विश्वविद्यालय भी शुरू हुआ है। पिछले दिनों आचार्य देवव्रत इस विश्वविद्यालय की मुलाकात लेने के लिए पहुंचे थे। 66 साल आचार्य देवव्रत अगस्त 2015 में हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल बने थे।
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