नितिन नामदेव, रायपुर। छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में आरोपी बनाए गए पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल की आज राजधानी रायपुर में कोर्ट में पेशी हुई। ज्यूडिशियल रिमांड खत्म होने के बाद उन्हें कोर्ट में पेश किया गया। इस दौरान ED ने चैतन्य के खिलाफ 7 हजार से अधिक पन्नों की चार्जशीट पेश की।

वहीं, शराब घोटाले में EOW-ACB के तहत चल रही जांच में चैतन्य बघेल को कुछ राहत मिली है। कोर्ट ने EOW-ACB की प्रोडक्शन वारंट पर सात दिन की कस्टोडियल रिमांड देने का अनुरोध अस्वीकार कर दिया और फैसला सुरक्षित रखा है। अब कल यानी मंगलवार 16 सितंबर को कोर्ट में फिर से सुनवाई होगी।

चैतन्य बघेल के वकील फैजल रिज़वी ने बताया कि EOW-ACB ने चैतन्य की पूछताछ के लिए आवेदन किया था। इसी आधार पर उन्हें 12 और 13 सितंबर को पूछताछ की अनुमति दी गई थी। हमें पहले से इसका अंदेशा था कि EOW उन्हें गिरफ्तार कर सकती है, जिसके चलते चैतन्य ने हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत के लिए याचिका दायर की थी। हाईकोर्ट ने निर्देश दिया कि इस मामले में लोअर कोर्ट में अग्रिम जमानत पर सुनवाई नहीं हो पाने तक प्रोडक्शन वारंट को स्थगित रखा जाए। इसके आधार पर वकील फैजल रिज़वी ने EOW की रिमांड का विरोध किया था।

कल रायपुर और 19 को हाईकोर्ट में होगी सुनवाई

बता दें कि ED के मामले में चैतन्य बघेल को अभी भी ज्यूडिशियल रिमांड पर रखा गया है। सेशन कोर्ट इस मामले में अगली सुनवाई 16 सितंबर 2025 को करेगी। इसके अलावा आज हाईकोर्ट में चैतन्य बघेल की गिरफ्तारी मामले में सुनवाई अधूरी रह गई। इसपर 19 सितंबर को फिर सुनवाई होगी। चैतन्य के खिलाफ शराब घोटाला, कोल लेवी, महादेव सट्टा ऐप और मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जांच चल रही है।

ED ने चैतन्य बघेल को जन्मदिन के दिन किया था गिरफ्तार

21 जुलाई को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) रायपुर जोनल कार्यालय की ओर से प्रेस नोट में दी गई जानकारी के अनुसार, ईडी ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पुत्र चैतन्य बघेल को उनके जन्मदिन 18 जुलाई को भिलाई निवास से धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA), 2002 के तहत गिरफ्तार किया है। शराब घोटाले की जांच ईडी ने भारतीय दंड संहिता (IPC) की विभिन्न धाराओं और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 के तहत एसीबी/ईओडब्ल्यू रायपुर द्वारा दर्ज एफआईआर के आधार पर शुरू की थी। प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि इस घोटाले के कारण प्रदेश के खजाने को भारी नुकसान हुआ और करीब 2,500 करोड़ रुपये की अवैध कमाई (पीओसी) घोटाले से जुड़े लाभार्थियों की जेब में पहुंचाई गई।

चैतन्य को शराब घोटाले से 16.70 करोड़ रुपये नगद मिले

ईडी की जांच से पता चला है कि चैतन्य बघेल को 16.70 करोड़ रुपये की पीओसी प्राप्त हुई थी। उन्होंने उक्त पीओसी को मिलाने के लिए अपनी रियल एस्टेट फर्मों का इस्तेमाल किया था। यह पता चला है कि उन्होंने पीओसी की उक्त नकद राशि का उपयोग अपने रियल एस्टेट प्रोजेक्ट के विकास में किया था। पीओसी का उपयोग उनके प्रोजेक्ट के ठेकेदार को नकद भुगतान, नकदी के खिलाफ बैंक प्रविष्टियों आदि के माध्यम से किया गया था। उन्होंने त्रिलोक सिंह ढिल्लों के साथ भी मिलीभगत की और अपनी कंपनियों का उपयोग एक योजना तैयार करने के लिए किया जिसके अनुसार उन्होंने त्रिलोक सिंह ढिल्लों के कर्मचारियों के नाम पर अपने “विठ्ठलपुरम प्रोजेक्ट” में फ्लैटों की खरीद की आड़ में अप्रत्यक्ष रूप से 5 करोड़ रुपये प्राप्त किए। बैंकिंग ट्रेल है जो इंगित करता है कि लेन-देन की प्रासंगिक अवधि के दौरान, त्रिलोक सिंह ढिल्लों ने अपने बैंक खातों में शराब सिंडिकेट से भुगतान प्राप्त किया।

1000 करोड़ से अधिक की अवैध संपत्ति का संचालन

इसके अलावा, सिन्डिकेट पर शराब घोटाले से उत्पन्न 1000 करोड़ रुपये से अधिक के पीओसी (POC) को संभालने का भी आरोप है। वह छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के तत्कालीन कोषाध्यक्ष को पीओसी हस्तांतरित करने के लिए अनवर ढेबर और अन्य के साथ समन्वय करते थे। ईडी द्वारा की गई जांच से पता चला है कि इस शराब घोटाले से प्राप्त धनराशि को आगे निवेश के लिए बघेल परिवार के प्रमुख सहयोगियों को भी सौंप दिया गया था। इस धनराशि के अंतिम उपयोग की आगे जांच की जा रही है।

पहले से गिरफ्त में हैं कई बड़े चेहरे

ईडी ने इससे पहले पूर्व आईएएस अनिल टुटेजा, अरविंद सिंह, त्रिलोक सिंह ढिल्लों, अनवर ढेबर, ITS अरुण पति त्रिपाठी और पूर्व मंत्री और वर्तमान विधायक कवासी लखमा को इस मामले में गिरफ्तार किया था। फिलहाल, मामले में आगे की जांच जारी है।

ED की कार्रवाई के खिलाफ चैतन्य ने HC में लगाई याचिका

गौरतलब है कि पूर्व सीएम भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल ने सुप्रीम कोर्ट में ED द्वारा उनकी गिरफ्तारी और हिरासत की कार्रवाई को चुनौती देते हुए याचिका लगाई थी। याचिका में चैतन्य ने कहा था कि उनकी हिरासत गैरकानूनी है और कानूनी प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया गया है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज करते हुए उन्हें पहले हाई कोर्ट जाने की सलाह दी थी। इसके बाद उन्होंने बिलासपुर हाई कोर्ट में ED की कार्रवाई के खिलाफ याचिका लगाई है।

Lalluram.Com के व्हाट्सएप चैनल को Follow करना न भूलें.
https://whatsapp.com/channel/0029Va9ikmL6RGJ8hkYEFC2H