वाराणसी। उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले में दीवार पर ताखेनुमा आकृति को हिंदू संगठनों ने मजार बताकर तोड़ डाला।हिंदूवादी संगठनों का आरोप था कि अस्पताल की बाहरी दीवारों पर ताखानुमा आकृति की आड़ में इस्लाम को बढ़ावा दिया जा रहा था। दीवार पर हरा पर्दा डालकर धर्मांतरण का खेल चल रहा था। इस आकृति को लेकर हिंदूवादी संगठन लंबे समय से विरोध दर्ज करा रहे थे।
ताखानुमा आकृति को तोड़ दिया
बताया जा रहा है कि साल 2022 में हिंदुओं के एतराज के बाद वहां पूजा पाठ बंद कर दिया गया था। साथ ही हरा पर्दा डालने की इजाजत नहीं थी। बावजूद इसके समय समय पर अस्पताल में ना सिर्फ पूजा पाठ चलता था बकायदा वह चादर भी चढ़ाई जाती थी। विरोध के बीच पिछले दिनों हिंदूवादी संगठन से जुड़े आधा दर्जन लोग अस्पताल पहुंचते हैं। संगठन के लोगों ने गीता पाठ के साथ ही ताखानुमा आकृति को तोड़ दिया।
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गर्भवती महिलाओं को बनाते थे निशाना
संगठन की अगुवाई कर रहे अतुल कुल ने बातचीत में बताया कि मजार की आड़ में मरीजों को बरगलाने का काम किया जा रहा था। निशाने पर गर्भवती महिलाएं होती थी। मजार के कर्ताधर्ता गर्भवती महिलाओं को बेटा होने का प्रलोभन देकर उनका माइंड वाश करते थे। हिंदुत्व को बचाने के लिए मजार को तोड़ने का फैसला किया गया।शार्प इंडिया की पड़ताल में अस्पताल में मौजूद कई लोगों ने इस बात की तस्दीक की।
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वहीं कुछ लोगों ने इसे शहीद बाबा का मजार बताया। लोगों का कहना था कि लंबे समय से यहां पर पूजा पाठ होता आया है। लोग यह पर फातिहा पढ़ते रहे हैं। हालांकि अस्पताल प्रशासन मजार की थ्योरी से इनकार कर रहा है। अस्पताल की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि जिस दीवार के पास मजार की आकृति बताई जा रही है वो ड्रेनेज सिस्टम का हिस्सा है। वहां किसी तरह का धार्मिक कार्य नहीं होता।
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