ज्योतिष शास्त्र में कालसर्प दोष को ऐसा योग माना जाता है, जो जीवन के महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर असर डालता है. कहा जाता है कि जब जन्म कुंडली में सभी ग्रह राहु और केतु के बीच आ जाते हैं, तो यह दोष बनता है. लोग मानते हैं कि यह व्यक्ति की तरक्की में बाधा डालता है, वहीं कुछ विद्वान इसे मात्र मानसिक दबाव मानते हैं. पंडितों के अनुसार, कालसर्प दोष से प्रभावित जातक को बार-बार असफलता, आर्थिक संकट, पारिवारिक तनाव और करियर में अड़चन का सामना करना पड़ सकता है. कई बार योग्य होने के बावजूद ऐसे लोग अपनी क्षमता के अनुरूप सफलता प्राप्त नहीं कर पाते.

हालांकि कई ज्योतिषाचार्य मानते हैं कि कालसर्प दोष को जरूरत से ज्यादा भयावह बना दिया गया है. उनका कहना है कि यह योग चुनौतियां तो लाता है, लेकिन इंसान को संघर्षशील भी बनाता है. इतिहास में ऐसे कई महान व्यक्तियों का उल्लेख है, जिन्होंने इस दोष के बावजूद सफलता पाई.
कालसर्प दोष को दूर करने के लिए ज्योतिष में कई उपाय बताए गए हैं. राहु-केतु शांति पाठ, त्रयंबकेश्वर (नासिक) या उज्जैन में विशेष पूजा कराने का महत्व बताया जाता है. इसके अलावा शिवलिंग पर जल और दूध अर्पित करना, महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना और सोमवार का व्रत रखने से भी लाभ होने की मान्यता है.
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