HCU Union Elections: डीयू (दिल्ली यूनिवर्सिटी) के बाद हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी छात्रसंघ चुनाव में भी भगवा का परचम लहराया है। हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी छात्रसंघ चुनाव 2025 में ABVP-SLVD गठबंधन ने सभी छह प्रमुख पद जीतकर शानदार वापसी की है। 45 राउंड की मतगणना के बाद ABVP-SLVD गठबंधन ने वामपंथी छात्र संगठनों के गठबंधन (SFI-BSF-HCU-DSU-TSF) को करारी शिकस्त दी। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) और सेवालाल विद्यार्थी दल (SLVD) गठबंधन ने हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी (HCU) छात्रसंघ चुनाव 2025 में रिकॉर्ड जीत छात्र राजनीति में बड़ा बदलाव मानी जा रही है।

ABVP-SLVD के उम्मीदवार शिव पालेपु ने अध्यक्ष पद पर जीत हासिल की। उन्होंने स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया (SFI), बहुजन स्टूडेंट्स फ्रंट (BSF), दलित स्टूडेंट यूनियन (DSU) और ट्राइबल स्टूडेंट फोरम (TSF) गठबंधन की उम्मीदवार अनन्या दास को कड़े मुकाबले में हराया। गठबंधन के उम्मीदवार देवेंद्र को उपाध्यक्ष, श्रुति प्रिया को महासचिव, सौरभ शुक्ला को संयुक्त सचिव, वीनस को सांस्कृतिक सचिव और ज्वाला को खेल सचिव के रूप में चुना गया।


चुनाव में कुल 169 उम्मीदवारों ने विभिन्न पदों के लिए अपनी किस्मत आजमाई। इनमें से आठ उम्मीदवार अध्यक्ष, पांच उपाध्यक्ष, छह महासचिव, पांच संयुक्त सचिव और चार-चार सांस्कृतिक व खेल सचिव के पदों के लिए मैदान में थे। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, 19 सितंबर को 29 मतदान केंद्रों पर मतदान हुआ, जिसमें 81 प्रतिशत से अधिक मतदाताओं ने अपने मताधिकार का उपयोग किया।

नए सिरे से चुनाव कराने की घोषणा
इस महीने की शुरुआत में विश्वविद्यालय प्रशासन ने मौजूदा छात्रसंघ को भंग कर 2025-26 के लिए नए सिरे से चुनाव कराने की घोषणा की थी। प्रशासन ने यह कदम सुप्रीम कोर्ट द्वारा अनिवार्य लिंगदोह समिति के दिशानिर्देशों का हवाला देते हुए उठाया था। इस फैसले की नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (NSUI) ने कड़ी आलोचना की और इसे “मनमाना और अलोकतांत्रिक” करार दिया। NSUI ने आरोप लगाया कि सभी दलों की सहमति से चल रही छात्रसंघ गतिविधियों के पूरा होने के बाद चुनाव कराने का निर्णय लिया गया था, लेकिन प्रशासन ने अचानक छात्रसंघ को भंग कर चुनाव आयोग का गठन कर दिया।


ABVP की HCU छात्रसंघ में सात वर्षों के बाद वापसी
यह ABVP की HCU छात्रसंघ में सात वर्षों के बाद वापसी है। पिछली बार 2018-19 सत्र में ABVP-ओबीसीएफ-सेवालाल विद्यार्थी दल गठबंधन ने सभी छह प्रमुख पद जीते थे, जब आरती नागपाल को अध्यक्ष चुना गया था। 2018 की जीत के बाद वामपंथी-दलित गठबंधनों ने लगातार प्रभुत्व बनाए रखा। 2019, 2022-23 और 2024 के चुनावों में एसएफआई-एएसए-डीएसयू गठबंधन ने सभी पद हासिल किए, जिसमें 2019 में अभिषेक नंदन और 2022 में पहली दलित क्वीयर अध्यक्ष का चुनाव शामिल था। इस दौरान ABVP को संस्थागत गिरावट, भूमि विवाद और छात्र मुद्दों पर असफलता का आरोप झेलना पड़ा था।

2025 की जीत को एंटी-इनकंबेंसी और राष्ट्रवादी एजेंडे की सफलता माना जा रहा है। ABVP ने दावा किया कि छात्रों ने अब ‘राष्ट्रवादी संगठनों’ को ही स्वीकार किया है।  ABVP-SLVD गठबंधन की इस जीत को विश्वविद्यालय परिसर में छात्र राजनीति में एक बड़े बदलाव के रूप में देखा जा रहा है।

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