कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। शक्ति की आराधना का पावन पर्व शारदीय नवरात्रि आज से शुरू हो गया है। भोपाल, ग्वालियर समेत पूरे प्रदेश में जय माता दी के उद्घोष से वातावरण गुंजायमान हो गया है। दुर्गा मंदिरों में भक्तों का ऐसा तांता लगा है मानों सारी दुनिया मां के चरणों में नतमस्तक हो। लेकिन सबसे ज्यादा भीड़ तो 150 वर्ष से अधिक प्राचीन ग्वालियर स्तिथ मांढरे की माता मंदिर पर उमड़ी है। ग्वालियर शहर के बीचों-बीच कैंसर पहाड़ी पर बसे इस प्राचीन मंदिर में सुबह से ही भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा है। लगभग 150 वर्ष पुराना यह मंदिर सिंधिया राजवंश की कुलदेवी मांढरे वाली माता का है। महाराजा जयाजीराव सिंधिया द्वारा स्थापित इस मंदिर में अष्टभुजा महिषासुर मर्दिनी रूपी मां काली की प्रतिमा विराजमान है, जिसकी विशेष पूजा नवरात्रि में की जाती है।

देवी को कर्नल आनंद राव मांढरे सतारा से लेकर आए

यह मंदिर सिंधिया राजघराने की कुलदेवी अष्टभुजाधारी महिषासुर मर्दिनी मां काली का स्थान है, देवी को सिंधिया सेना में कर्नल आनंद राव मांढरे सतारा से लेकर आए थे। मांढरे की माता के सतारा से यहां आकर विराजित होने की किवदंती राजपरिवार से जुड़ी हुई है। मंदिर की स्थापना तत्कालीन शासक जयाजी राव सिंधिया ने कराई थी। सिंधिया राजपरिवार ने देवी में अगाध श्रद्धा होने के कारण आनंद राव मांढरे को सेना के दायित्व से मुक्त कर मां की सेवा का दायित्व सौंपा था। आज मांढरे परिवार की पांचवीं पीढ़ी यहां सेवा कर रही है।

महल और मंदिर का दरवाजा आमने-सामने

खास बात है कि सिंधिया राजवंश की कुलदेवी मांढरे की माता की प्रतिमा स्थापना इस तरह की की गई थी महल से भी सीधे दर्शन हो सके। तत्कालीन शासक जयाजी राव सिंधिया अपने जयविलास पैलेस से दूरबीन से करते थे। महल और मंदिर का दरवाजा आमने-सामने होने के कारण दर्शन आसानी से हो जाते थे। इसके अलावा राजपरिवार का मुखिया शरदीय नवरात्र की नवमी को यहां पूजा-अर्चना करने के लिए आता है। आज भी यह परंपरा जारी है।

मंदिर चारों ओर से अस्पतालों से घिरा हुआ

मंदिर में बड़ी संख्या में बीमारियों से पीड़ित मरीज और उनके परिजन आते हैं मैया के दरबार में मनोकामना मांगी जाती है और मैया के आशीर्वाद से रोग बीमारी दूर भी हो जाती है। मंदिर चारों ओर से अस्पतालों से घिरा हुआ है। शासकीय आयुर्वेदिक कॉलेज, मेडिकल कॉलेज, अंचल का सबसे बड़ा शासकीय जयारोग्य अस्पताल सहित दो दर्जन से ज्यादा छोटे बड़े प्राइवेट हॉस्पिटल भी आसपास संचालित हो रहे। ऐसे में रोग दूर करने वाली मैया के रूप में भी भक्तों की अटूट श्रद्धा हैं।

पुजारी के नाम से जाना जाता है मंदिर

बता दें कि देशभर में मंदिर देवी-देवता के नाम पर जाने जाते हैं। किंतु ग्वालियर शहर का मांढरे की माता एक मात्रा ऐसा मंदिर है, जो कि पुजारी (भक्त) के नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि यहां सच्चे मन से मांगी गई हर मुराद पूरी होती है, और यही कारण है कि यहां बड़ी संख्या में भक्त दर्शन के लिए आते हैं।

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