रायपुर/औरंगाबाद। डीजे के शोर और नए म्यूजिक इंस्ट्रूमेंट्स से संगीत का रोमांच युवाओं के बीच जरूर बढ़ा है, लेकिन भारतीय संस्कृति में शास्त्रीय संगीत का एक विशेष महत्व है, जो तबला के बिना अधूरा है. इसी कला को जिंदा रखा है औरंगाबाद के तबला वादक शरद दांडगे ने.

औरंगाबाद के मशहूर तबला वादक शरद कुमार दांडगे पिछले तीन दशकों से इस संस्कृति को जिंदा रखे हुए हैं. इससे पहले उन्होंने अपने अनूठे अंदाज में टीम इंडिया को भी बधाई दी थी. उन्होंने तबले के माध्यम से विभिन्न भारतीय राज्यों की संगीतमय संस्कृति को पिरोकर खिलाड़ियों का स्वागत किया था, जो देश की एकता और विविधता को दर्शाता है.

 शरद दांडगे ने अपने तबले की जादुई धुनों से महाराष्ट्र के रोहित शर्मा के लिए ढोलकी, सूर्यकुमार यादव के लिए ड्रम, उत्तराखंड के ऋषभ पंत और उत्तर भारत के हार्दिक पंड्या के लिए पंजाबी ढोल, गुजरात के रवींद्र जड़ेजा के लिए पखावज और मृदंग जैसी धुनें बजाकर खिलाड़ियों को सम्मानित कर चुके हैं.

 शरद दांडगे का तबला वादन अपनी विशिष्ट शैली के लिए विख्यात है. उनके ‘ओम पंचनद’ कार्यक्रम को देशभर में खूब सराहा गया. उनकी कला को लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स और इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में स्थान मिला है. कई पुरस्कारों से नवाजे गए शरद ने कहा कि “संगीत और क्रिकेट दोनों ही देश को एकजुट करते हैं”.