कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। धार्मिक आयोजनों में हिंदू-गैर हिंदू का मुद्दा लगातार गरमा रहा है। गरबा कार्यक्रम के बाद अब रामलीला कार्यक्रम में भी यह मुद्दा उठा है, जिसके बाद रामलीला से जुड़े गैर हिन्दुओं को हटाया गया है।

दरअसल बीते 79 साल से ग्वालियर में रामलीला मंचन कार्यक्रम का आयोजन हो रहा है, लेकिन इस बार यह आयोजन चर्चाओं में है, क्योंकि आयोजन समिति द्वारा गैर हिन्दू पूर्व पार्षद गुड्डू वारसी को राम बरात चल समारोह का संयोजक बना दिया गया। जिसके बाद हिन्दू संगठनों ने विरोध जताया, ऐसे में श्री रामलीला समारोह समिति ने विरोध को देखते हुए तत्काल कदम उठाया है। समिति के कार्यक्रम संयोजक रमेश अग्रवाल ने पूर्व पार्षद गुड्डू वारसी को चल समारोह संयोजक पद से हटा दिया है।

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पूर्व पार्षद वारसी बोले- भगवान की सेवा करने किसी पद की जरूरत नहीं

इस मामले में गुड्डू वारसी का कहना है मेरे पदाधिकारी होने पर कुछ लोगों का आपत्ति थी इसलिए हटा दिया गया, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है। भगवान की सेवा करने के लिए किसी पद की जरूरत नहीं है। भगवान की सेवा करने के लिए मन में सच्ची श्रद्धा होनी चाहिए, आजीवन फिर भी श्री राम जी की सेवा करता रहूंगा। गुड्डू ने कहा कि रामलीला में पिछले 25 साल से सक्रिय भूमिका निभा रहा हूं, अभी तक किसी को परेशानी नहीं हुई लेकिन इस बार ऐसा क्या हुआ कि मेरे आयोजन से जुड़े रहने पर आपत्ति हो गई।

मैंने संतों का सम्मान किया- गुड्डू वारसी

गुड्डू वारसी ने यह भी कहा कि अभी भी रामलीला का मंचन देखने जरूर जाऊंगा। लोगों को तो खुश होना चाहिए कि एक मुस्लिम समाज का व्यक्ति है जो भगवान श्री राम की सेवा कर रहा है। आपको तो मेरा उत्साह वर्धन करना चाहिए था, मैंने मंच पर संतों का सम्मान किया श्री राम का पूजन किया, इसमें क्या गलती है। मन बहुत दुखी है, फिर भी मैं हमेशा श्री राम जी की सेवा करता रहूंगा पूजा करता रहूंगा। आपको बता दें कि फूलबाग मैदान में 21 सितंबर से 03 अक्टूबर तक श्री रामलीला मंचन का आयोजन हो रहा है। लेकिन पहली बार यह रामलीला धार्मिक राजनीति के बीच फंसती हुई नजर आई।

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