केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने SPMRF द्वारा आयोजित ‘भारत मंथन’ 2025 – ‘नक्सल मुक्त भारत’ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि 31 मार्च 2026 तक देश नक्सलवाद से मुक्त हो जाएगा। उन्होंने कहा कि मैं फिर कह रहा हूं कि 31 मार्च 2026 तक इस देश से हथियारी नक्सलवाद खत्म हो जाएगा। अमित शाह ने कहा कि मैंने बयान दिया था कि 31 मार्च 2026 तक देश नक्सलवाद से मुक्त हो जाएगा, लेकिन सवाल ये है कि इस देश में नक्सलवादी समस्या क्यों पनपी, क्यों बढ़ी, क्यों विकसित हुई, इसका वैचारिक पोषण किसने किया?

और जब तक भारत का समाज इस सिद्धांत का, नक्सलवाद के विचार का वैचारिक पोषण, लीगल समर्थन और वित्तीय पोषण करने वाले समाज में बैठे हुए लोगों को समझ नहीं लेता है और उन लोगों को हम वापस नहीं लाते हैं तब तक नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई समाप्त नहीं होगी। हमें इस विचार के आगे बहुत कुछ करने की जरूरत होगी।

हम किसी को मारना नहीं चाहते लेकिन…

अमित शाह ने नक्सलाइट को चेतावनी देते हुए कहा ”आज भी मैं कहना चाहता हूं कि हथियार छोड़ दीजिए, हम किसी को भी मारना नहीं चाहते हैं”। मगर हथियार लेकर निर्दोष आदिवासियों को मारना चाहते हैं तो मेरी सरकार का धर्म है इनको बचाना। 2014 में 126 नक्सलाइट जिले थे, अब सिर्फ 18 नक्सलाइट जिले ही बचे हैं। मोस्ट इफेक्टेड जिले की अगल कैटेगरी होती है, वो 36 थे, जो अब सिर्फ 6 बचे हैं। ये बताता है कि इनका क्षेत्र कितना सिकुड़ गया।

31 मार्च 2026 तक देश से नक्सलवाद समाप्त हो जाएगा

अमित शाह ने कहा कि मैं विश्वास के साथ सकता हूं कि 31 मार्च 2026 तक इस देश से हथियारी नक्सलवाद समाप्त हो जाएगा। 2025 में सुरक्षा बलों ने अब तक 270 नक्सलियों को ढेर किया। अगर ये लोग हथियार नहीं छोड़ेंगे तो आगे भी हमें एक्शन लेने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।

भ्रम फैलाने के लिए एक पत्र लिखा गया

अमित शाह ने कहा, “हाल ही में भ्रम फैलाने के लिए एक पत्र लिखा गया था जिसमें कहा गया था कि अब तक जो कुछ हुआ है वह एक गलती थी, युद्धविराम की घोषणा की जानी चाहिए और हम आत्मसमर्पण करना चाहते हैं। युद्धविराम नहीं होगा। अगर आप आत्मसमर्पण करना चाहते हैं, तो युद्धविराम की कोई ज़रूरत नहीं है। अपने हथियार डाल दीजिए। पुलिस एक भी गोली नहीं चलाएगी।”

और जैसे ही पत्र आया, सब उछल पड़े। ये सभी वामपंथी दल वामपंथी हिंसा से सार्वजनिक रूप से दूर रहे थे। लेकिन जैसे ही ऑपरेशन ब्लैक फ़ॉरेस्ट हुआ, उनकी तुच्छ सहानुभूति उजागर हो गई। उन्होंने पत्र और प्रेस नोट लिखकर मांग की कि ऑपरेशन ब्लैक फ़ॉरेस्ट तुरंत बंद किया जाए। सीपीआई और सीपीआई(एम) ने ऐसा किया। उन्हें उनकी रक्षा करने की क्या ज़रूरत है।

वामपंथी उग्रवाद के कारण विकास रुक गया

अमित शाह ने आगे कहा-एनजीओ पीड़ित आदिवासियों के मानवाधिकारों की रक्षा के लिए आगे क्यों नहीं आते? क्या ये लंबे-चौड़े लेख लिखने वाले और हमें सलाह देने वाले सभी लोगों ने कभी आदिवासी पीड़ितों के लिए एक लेख लिखा है? उन्हें इसकी चिंता क्यों नहीं है? आपकी सहानुभूति और हमदर्ती इतनी चुनिंदा क्यों है?

यह उन लोगों को जवाब है जो कहते हैं कि वामपंथी उग्रवाद विकास के कारण शुरू हुआ। वामपंथी उग्रवाद विकास के कारण शुरू नहीं हुआ। वामपंथी उग्रवाद के कारण विकास रुक गया। अब, 2014 से 2025 तक, हमने वामपंथी उग्रवादी इलाकों में 12 हज़ार किलोमीटर सड़कें बनाई हैं।

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