रायपुर। छत्तीसगढ़ शराब घोटाला मामले की जांच कर रही ईओडब्ल्यू-एसीबी (ACB-EOW) ने कांग्रेस के प्रभारी महामंत्री मलकीत सिंह गैदू को नोटिस जारी किया है। जांच एजेंसी ने पार्टी कार्यालय के एकाउंटेंट देवेंद्र डड़सेना की जानकारी देने को कहा है। देवेंद्र डड़सेना कांग्रेस के प्रदेश कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल के करीबी माने जाते हैं।

जांच एजेंसी ने नोटिस में पूछा है कि देवेंद्र डड़सेना पार्टी कार्यालय में किस जिम्मेदारी में थे, उनकी नियुक्ति किसने की थी और उन्हें कितना वेतन मिलता था। इसके साथ ही पार्टी से कर्मचारी की नियुक्ति, कार्यकाल और गतिविधियों का पूरा ब्योरा उपलब्ध कराने को कहा गया है।

बता दें कि देवेंद्र डड़सेना को पहले ही ईओडब्ल्यू-एसीबी ने गिरफ्तार कर लिया था। वे पिछले 22-23 साल से पीसीसी का लेखा-जोखा संभाल रहे हैं। जांच एजेंसी शराब घोटाले से प्राप्त धन का इस्तेमाल सुकमा और अन्य जगहों पर कांग्रेस भवन निर्माण में हुआ या नहीं और रामगोपाल अग्रवाल के कारोबार की भी पड़ताल कर रही है।

मलकीत सिंह गैदू का बयान

इस पर मलकीत सिंह गैदू का बयान सामने आया है। उन्होंने कहा कि देश की यह पहली घटना होगी, जहां जांच एजेंसी राजनीतिक दल को प्रताड़ित और तंग कर रही है। राजनीतिक दबाव में कार्रवाई की जा रही है। इससे पहले मैंने प्रवर्तन निदेशालय (ED) को लिखित जवाब भी दे दिया था। मुझे कार्यालय में 9 घंटे बैठाकर रखा गया था।

लकीत सिंह गैदू ने कहा कि ED ने उन्हें तीन बार नोटिस दिया। हर बार उन्होंने लिखित जवाब पेश किया है। जवाब देने के समय उन्हें 9-9 घंटे तक ED कार्यालय में बैठाकर रखा गया।

क्या है पूरा मामला

28 दिसंबर 2024 को ED ने पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा और उनके बेटे हरीश कवासी के घर पर छापेमारी की थी। टीम रायपुर के धरमपुरा स्थित लखमा के बंगले, सुकमा में हरीश लखमा के आवास और अन्य स्थानों पर दस्तावेज और गाड़ियों की तलाशी ली। जांच में सामने आया कि शराब घोटाले की कमाई से सुकमा कांग्रेस भवन का निर्माण किया गया। मामले से कई अहम दस्तावेज ED ने जब्त किए हैं।

ED के मुताबिक, कमीशन की राशि 72 करोड़ में से 68 लाख रुपये से सुकमा में कांग्रेस भवन तैयार किया गया। शराब घोटाले से सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ। इसके बाद ED ने लखमा के मकान और रायपुर के बंगले के साथ-साथ कांग्रेस भवन को भी अटैच किया।

क्या है शराब घोटाला?

तत्कालीन भूपेश सरकार में पूर्व IAS अनिल टुटेजा, उनके बेटे यश टुटेजा और CM सचिवालय की तत्कालीन उपसचिव सौम्या चौरसिया के खिलाफ आयकर विभाग ने दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में 11 मई, 2022 को याचिका दायर की थी, जिसमें कहा गया कि छत्तीसगढ़ में रिश्वत, अवैध दलाली के बेहिसाब पैसे का खेल चल रहा है. इसमें रायपुर महापौर रहे एजाज ढेबर का भाई अनवर ढेबर अवैध वसूली करता है. दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में दायर याचिका के आधार पर ED ने 18 नवंबर, 2022 को PMLA एक्ट के तहत मामला दर्ज किया था. आयकर विभाग से मिले दस्तावेजों के आधार पर ED ने जांच के बाद 2161 करोड़ के घोटाले की बात का कोर्ट में पेश चार्जशीट में जिक्र किया था.

ED ने अपनी चार्जशीट में बताया कि किस तरह एजाज ढेबर के भाई अनवर ढेबर के आपराधिक सिंडिकेट के ज़रिए आबकारी विभाग में बड़े पैमाने पर घोटाला किया गया. ED ने चार्जशीट में कहा कि 2017 में आबकारी नीति में संशोधन कर CSMCL के ज़रिए शराब बेचने का प्रावधान किया गया, लेकिन 2019 के बाद शराब घोटाले के किंगपिन अनवर ढेबर ने अरुणपति त्रिपाठी को CSMCL का MD नियुक्त कराया. उसके बाद अधिकारियों, कारोबारियों और राजनैतिक रसूख वाले लोगों के सिंडिकेट के ज़रिए भ्रष्टाचार किया गया, जिससे 2161 करोड़ का घोटाला हुआ. इस मामले में ED ने 15 जनवरी को कवासी लखमा को गिरफ्तार किया था.

गौरतलब है कि आज की चार्जशीट से पहले 13 मार्च को शराब घोटाले मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने स्पेशल कोर्ट में 3,841 पन्नों का चालान पेश किया था, जिसमें जेल में बंद पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा समेत 21 अन्य को आरोपी बनाया गया था. इसमें कवासी लखमा, अनवर ढेबर, अनिल टूटेजा, त्रिलोक सिंह ढिल्लन, छत्तीसगढ़ डिस्टलर, वेलकम डिस्टलर, टॉप सिक्योरिटी, ओम सांई ब्रेवरेज, दिशिता वेंचर, नेस्ट जेन पावर, भाटिया वाइन मर्चेंट और सिद्धार्थ सिंघानिया सहित अन्य लोगों के नाम शामिल हैं.