Gobinda Sahu Death Case: भुवनेश्वर. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने ओडिशा की पूर्व बीजद सरकार को बलांगीर जिले के कांटाबांजी उप-कारागार में 20 दिसंबर 2022 को आत्महत्या करने वाले विचाराधीन कैदी गोबिंद साहू की मौत के लिए जिम्मेदार ठहराया है.

यह दुखद घटना राज्य में बीजू जनता दल (बीजद) सरकार के शासनकाल के दौरान हुई थी.

52 वर्षीय गोबिंद साहू कालाहांडी के महालिंग स्थित सनशाइन इंग्लिश मीडियम स्कूल के अध्यक्ष थे. उन्हें गिरफ़्तार कर विचाराधीन कैदी के रूप में जेल में रखा गया था. 20 दिसंबर की सुबह, उन्हें जेल परिसर में फंदे से लटका पाया गया और स्थानीय अस्पताल में मृत घोषित कर दिया गया.

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Gobinda Sahu Death Case
Gobinda Sahu Death Case

मानवाधिकार कार्यकर्ता सागर कुमार जेना ने उसी दिन जेल अधिकारियों पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए शिकायत दर्ज कराई. एनएचआरसी ने मामले को गंभीरता से लिया और जाँच शुरू की.

Gobinda Sahu Death Case. हालांकि स्थानीय जांच रिपोर्ट में दावा किया गया था कि यह आत्महत्या थी और इसमें कोई गड़बड़ी नहीं थी, एनएचआरसी ने इस दृष्टिकोण को खारिज कर दिया. जब जांच मजिस्ट्रेट ने गोबिंद साहू की हिरासत में मौत के मामले में अपनी रिपोर्ट पेश की, तो उसने निष्कर्ष निकाला: “कोई लापरवाही नहीं. मौत आत्महत्या थी. कोई गड़बड़ी नहीं.”

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लेकिन एनएचआरसी ने कहा कि अगर यह आत्महत्या भी थी, तो कैदियों की सुरक्षा की जिम्मेदारी राज्य की है. आयोग ने पाया कि जेल कर्मचारियों की अपर्याप्त निगरानी और लापरवाही के कारण साहू ने आत्महत्या कर ली.

एनएचआरसी ने ओडिशा सरकार को साहू के परिवार को 5 लाख रुपये का मुआवजा देने और जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने का आदेश दिया. सरकार ने शुरुआत में विरोध किया, लेकिन बाद में मार्च 2025 में भुगतान का प्रमाण प्रस्तुत करते हुए इसका पालन किया.

Gobinda Sahu Death Case. एनएचआरसी ने 7 जुलाई 2025 को मामला बंद कर दिया, लेकिन बीजद के नेतृत्व वाली सरकार के खिलाफ कड़ी टिप्पणी की. आयोग ने कहा कि हिरासत में मौत गंभीर लापरवाही और खराब जेल प्रबंधन का नतीजा थी. मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि ओडिशा में यह पहला ऐसा मामला नहीं है और सरकार अक्सर ऐसी घटनाओं को नजरअंदाज करती है.

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