Shardiya Navratri 2025: कटनी। मध्य प्रदेश के इटौली की खेर आसमानी मरही माता मंदिर का इतिहास काफी पुराना है। इस मंदिर में पंडा ने माता की शक्ति की परीक्षा ली थी। जिद पर चावल के जवारे जम गए थे। माता ने वचन दिया था की नवमी तिथि को जवारे विसर्जन के बाद जीवन लीला समाप्त हो जाएगी।

कटनी जिले के ढीमरखेड़ा तहसील अंतर्गत आने वाले ग्राम इटोली की खेर आसमानी मरही माता मंदिर का इतिहास करीब 150 साल पुराना है। माता की शक्तियों की कहानी क्षेत्र भर में व्याप्त है। मढिया के पंडा राजेंद्र गोटिया जगदेव राजभर और चौसठ योगिनी मढिया के पंडा पूर्व सरपंच तुलसी राममांझी ने बताया कि गांव की खेर आसमानी मरही माता की शक्तियां प्रचंड है। पुराने समय में गांव का गोटिया परिवार जबलपुर जिले के कुंडम तहसील की सूपावारा गांव की महानदी में नहा रहा था।

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इस दौरान माता की प्रतिमा निकली थी, जिसे गांव के लोगों ने पूजा पाठ कर पेड़ के नीचे रख दिया था। रात को घर आने पर माता ने सपना देखा कि पेड़ के नीचे जिसे बैठा के आए हो उसे गांव लेकर आओ, गांव लाने के बाद उन दिनों पंडा ने माता की शक्ति की परीक्षा लेने के लिए माता से जिद की कि अगर शक्ति है तो चावल के जवारे जमा के दिखाओ। माता ने भी वचन दिया कि चावल के जवारे तो जम जाएंगे लेकिन जवारों का विसर्जन होते ही पंडा तुम्हारी लीला भी समाप्त हो जाएगी।

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माता के वचन अनुसार नवमी तिथि को जवारे विसर्जन होने के बाद पंडा की जीवन लीला समाप्त हो गई। मंदिर प्रांगण में आज भी पंडा का समाधि स्थल बना हुआ है। बताया जाता है कि पुराने समय में मढिया कच्ची थी। गांव के लोगों ने ठाकुर श्याम सिंह से पक्की मढिया बनाने की मांग की थी। ठाकुर श्याम सिंह के निधन होने के बाद उनके बड़े पुत्र जे के सिंह ने तकरीबन 10 साल पहले 15 से 20 लाख रुपये की लागत से इसका निर्माण कराया था।

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