शशांक द्विवेदी, खजुराहो। मध्यप्रदेश के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल खजुराहो में आदिवासी जनजाति परंपरा की छांव में, संस्कृति का निर्माण करने और जनजातीय विरासत को संजोने के उद्देश्य को लेकर शिल्पग्राम में “जनजातीय झोपड़ी निर्माण कार्यशाला” का आयोजन किया जा रहा है। कार्यशाला में गोंड जनजाति की लिलार कोठी का निर्माण किया जा रहा है, वहीं छत्तीसगढ़ की जनजाति की झोपड़ी का निर्माण वर्तमान में किया जा रहा है।

अनाज के संग्रहण में उपयोग

लिलार कोठी को बनाने वाले सुखीराम मरावी का कहना है कि वह खजुराहो में गोंड जनजाति कि लिलार कोठी का निर्माण कर रहे है, जिनका उपयोग गोंड जनजाति के लोग अनाज के संग्रहण में किया करते थे, वहीं इस दौरान 1400 साल पुरानी भित्तीय शैल चित्र जिन्हें कभी गोंड पत्थरों में उकेरते थे।

दीवारों पर मनभावन चित्रकारी

आज के समय में लिलारी कोठी की दीवारों पर शैल चित्रों का निर्माण किया जाता है। मिट्टी, बांस, भूसा से बनी यह कोठी देखने में बहुत आकर्षक दिखती है। गोंड समुदाय की महिलाएं ही इनकी दीवारों पर मनभावन चित्रकारी करती हैं।

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