दिल्ली हाई कोर्ट(Delhi High Court) ने एक पाकिस्तानी महिला की याचिका पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है, जो अपने भारतीय पति के साथ रहने के लिए वीजा चाहती है। जस्टिस सचिन दत्ता की बेंच ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी करते हुए हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया। अदालत ने इस मामले की अगली सुनवाई 12 नवंबर के लिए निर्धारित की है। महिला की याचिका में कहा गया है कि उसे अपने पति के साथ भारत में रहने की अनुमति दी जाए, लेकिन अब तक उसे वीजा जारी नहीं किया गया है। अदालत ने केंद्र से पूछा है कि ऐसे मामलों में नीति क्या है और देरी का कारण क्या रहा।

दिल्ली हाई कोर्ट ने पाकिस्तानी नागरिक रुकैया ओबैद की याचिका पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। रुकैया ने भारत में अपने पति उबादा अब्दुल बरकात फारूकी, जो दिल्ली के निवासी हैं, के साथ रहने के लिए लॉन्ग टर्म वीजा (LTV) जारी करने की मांग की है। याचिका के अनुसार, रुकैया और उबादा ने नवंबर 2024 में पाकिस्तान में विवाह किया था। इसके बाद रुकैया अप्रैल 2025 में भारत आईं और 18 अप्रैल को लॉन्ग टर्म वीजा के लिए आवेदन किया।

हालांकि, 25 अप्रैल 2025 को पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने सभी पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा निलंबित कर दिए और जारी वीजा भी रद्द कर दिए। इस फैसले के चलते रुकैया का आवेदन लंबित रह गया।

28 अप्रैल को भारत छोड़ने को किया गया मजबूर

रुकैया ओबैद ने अपनी याचिका में यह भी आरोप लगाया है कि उन्होंने दिल्ली के फॉरेनर्स रीजनल रजिस्ट्रेशन ऑफिस (FRRO) से देश में रहने की अनुमति मांगी थी, लेकिन अधिकारियों ने उनकी बात पर ध्यान नहीं दिया। याचिका के मुताबिक, रुकैया को एग्जिट परमिट जारी कर 28 अप्रैल को भारत छोड़ने के लिए मजबूर किया गया। उन्होंने कहा कि यह कदम न केवल मानवीय दृष्टि से अनुचित था, बल्कि उनके वैवाहिक जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार का भी उल्लंघन था।

रुकैया ने अदालत से गुहार लगाई है कि केंद्र सरकार को निर्देश दिया जाए कि उन्हें भारत लौटने और अपने पति के साथ रहने की अनुमति दी जाए, क्योंकि उनका विवाह कानूनी रूप से वैध है और उनका वीजा आवेदन पहले से लंबित था।

दिल्ली हाई कोर्ट से इंसाफ के लिए की अपील

वकील ने अदालत को बताया कि 29 अप्रैल को, यानी जिस दिन रुकैया भारत छोड़कर पाकिस्तान लौटीं, उसी दिन मीडिया रिपोर्ट्स में यह स्पष्ट किया गया था कि जिन पाकिस्तानी नागरिकों के लॉन्ग टर्म वीज़ा (LTV) आवेदन लंबित हैं, उन्हें देश छोड़ने की आवश्यकता नहीं है।

वकील ने कहा कि इसी नीति के तहत राजस्थान के जोधपुर में कई पाकिस्तानी महिलाएं, जिन्होंने भारतीय पुरुषों से शादी की है, अब भी भारत में रह रही हैं। लेकिन रुकैया को बिना उचित कारण बताए भारत छोड़ने के लिए मजबूर किया गया, जो समानता के अधिकार और प्रशासनिक न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है।

रुकैया ने अपनी याचिका में दिल्ली हाई कोर्ट से गुहार लगाई है कि उसे भी वैसा ही न्याय दिया जाए जैसा अन्य पाकिस्तानी नागरिक पत्नियों को मिला है, अब इस मामले पर दिल्ली हाई कोर्ट 12 नवंबर को अगली सुनवाई करेगा, जिसमें केंद्र सरकार को अपना पक्ष हलफनामे के माध्यम से प्रस्तुत करना है।

याचिकाकर्ता पाकिस्तानी महिला रुकैया ओबैद ने अपनी अर्जी में दलील दी कि भारत के संविधान के तहत उसे समानता का अधिकार (Right to Equality) प्राप्त है। उन्होंने कोर्ट को बताया कि समाचार चैनलों पर प्रसारित रिपोर्टों के अनुसार, राजस्थान विशेष रूप से जोधपुर के अधिकारियों ने कई पाकिस्तानी महिलाओं को भारत में रहने की अनुमति दी है, क्योंकि उन्होंने भारतीय पुरुषों से विवाह किया है।

रुकैया ने कहा कि उनकी स्थिति भी बिल्कुल वैसी ही है, इसलिए उन्हें भी समान मानवीय और कानूनी आधार पर रहने की अनुमति दी जानी चाहिए। उन्होंने कोर्ट से अपील की कि सरकार भेदभाव न करे और उन्हें भी वैसी ही राहत प्रदान करे जैसी अन्य पाकिस्तानी पत्नियों को दी गई है।

Follow the LALLURAM.COM MP channel on WhatsApp
https://whatsapp.com/channel/0029Va6fzuULSmbeNxuA9j0m

देश-विदेश की बड़ी खबरें पढ़ने के लिए करें क्लिक

लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें

खेल की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

मनोरंजन की बड़ी खबरें पढ़ने के लिए करें क्लिक