Donald Trump Comment on Greta Thunberg: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने स्वीडन की एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग को लेकर बड़ा बयान दिया है। ट्रंप ने ग्रेटा को उपद्रवी महिला बताते हुए कहा कि उन्हें डॉक्टर से अपना इलाज कराना चाहिए। ट्रंप ने यह भी कहा कि अगर आप कभी उन्हें देखें, ‘एक युवा होने के बावजूद, वह बहुत गुस्सैल हैं, वह बहुत पागल हैं।”
ट्रंप और थनबर्ग के बीच पुराना है विवाद
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप और ग्रेटा थनबर्ग के बीच विवाद पुराना है। ट्रंप इससे पहले भी ग्रेटा को लेकर बयान दे चुके हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति ने जून 2025 में भी थनबर्ग को अजीब, युवा और गुस्सैल बताया था और कहा था कि उन्हें गुस्से की समस्या है। ट्रंप ने तब ग्रेटा के इजरायल पहुंचने की उनकी कोशिश की भी निंदा की थी।
‘गाजा में चल रहा है नरसंहार’
वहीं ग्रेटा थनबर्ग ने गाजा में इजरायल के हमले के खिलाफ कड़ा संदेश भी दिया है। उन्होंने कहा, “मैं बिल्कुल साफ कर दूं, वहां नरसंहार चल रहा है। हमारी अंतरराष्ट्रीय व्यवस्थाएं फिलिस्तीनियों के साथ विश्वासघात कर रही हैं। वो सबसे भयानक युद्ध अपराधों को भी नहीं रोक पा रहे हैं।” जबकि इजरायल ने ग्रेटा थनबर्ग को आरोपों को सिरे से खारिज किया है।
इजरयली सेना ने किया था गिरफ्तार
इज़रायली बलों ने शुक्रवार को सभी नावों को रोक लिया और 437 कार्यकर्ताओं, सांसदों और वकीलों को गिरफ्तार किया, जिनमें जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग भी शामिल थीं। ये सभी “ग्लोबल सुमुद फ्लोटिला” का हिस्सा थे, जो 40 से अधिक नावों का समूह था, जो गाजा के लिए मानवीय सहायता लेकर जा रहा था। यह समूग गाजा की नौसैनिक नाकाबंदी तोड़ने की कोशिश कर रहा था। इजरायल ने सोमवार को थनबर्ग सहित 171 लोगों को निर्वासित कर दिया था जिससे निष्कासित लोगों की कुल संख्या 341 हो गई है।
‘बालों से घसीटा, जानवरों की तरह किया ट्रीट’
“द गार्जियन” की एक रिपोर्ट के अनुसार, स्वीडिश विदेश मंत्रालय को भेजे गए एक ईमेल में कहा गया कि एक अधिकारी, जो जेल में ग्रेटा से मिलने गया था, ने बताया कि ग्रेटा ने दावा किया कि उन्हें एक ऐसी कोठरी में रखा गया था जो खटमलों से भरी थी। उन्हें बहुत कम खाना और पानी दिया गया। ईमेल में आगे कहा गया कि ग्रेटा को लंबे समय तक कठोर सतह पर बैठने के लिए मजबूर किया गया और जानवरों से भी बदतर व्यवहार किया गया।
उनके साथ हिरासत में लिए गए एक अन्य कार्यकर्ता ने बताया कि ग्रेटा को जबरन इज़रायल का झंडा पकड़ने के लिए कहा गया और उनकी तस्वीरें खींची गईं। ग्रेटा को चिंता थी कि उनकी तस्वीरों का गलत इस्तेमाल किया जा सकता है। स्वीडिश मंत्रालय के अधिकारी ने कहा कि इस दावे की पुष्टि फ्लोटिला के दो अन्य सदस्यों ने भी की, जिन्हें इज़रायली बलों ने हिरासत में लिया था और शनिवार को रिहा किया गया।
तुर्की की एक अन्य कार्यकर्ता, एरसिन सेलिक, ने बताया कि ग्रेटा को उनकी आंखों के सामने बाल पकड़कर घसीटा गया, गाली-गलौज की गई और जबरन इज़रायल का झंडा चूमने के लिए मजबूर किया गया। उन्हें एक उदाहरण के तौर पर पेश किया गया और चेतावनी दी गई। दूसरी ओर, इज़रायली विदेश मंत्रालय ने दावा किया कि हिरासत में लिए गए लोगों के साथ दुर्व्यवहार की खबरें झूठी हैं।
इजरायल ने क्या कहा?
हालांकि, इजरायली दूतावास ने इन आरोपों को सिरे से खारिज किया है। इजरायल का कहना है, “हिरासत में लिए गए सभी लोगों को खाने, पीने और शौचालय की सुविधा दी गई थी। इसके अलावा उन्हें चिकित्सा समेत सभी तरह के कानूनी अधिकार भी दिए गए थे।”
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