देहरादून। उत्तराखंड के पूर्व सीएम हरीश रावत ने भाजपा सरकार पर जमकर निशाना साधा है। हरीश रावत ने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अब भाजपा का ताला लग गया है। इसका एक और उदाहरण भिकियासैंण, थाना क्षेत्र भतरौजखान (जिला अल्मोड़ा) में कांग्रेस की युवा शाखा की अध्यक्ष अंकिता पडलिया के खिलाफ दायर एक FIR से सिद्ध होती है। भिकियासैंण की रामलीला में 1 अक्टूबर को माननीय विधायक आमंत्रित होते हैं।

इसकी जांच होनी चाहिए

हरीश रावत ने बताया कि भाजपा के कार्यकर्ताओं में नीचे गरमा-गरम बहस होती है और जब विधायक मंच पर जाते हैं तो भाजपा की पूर्व नगर अध्यक्ष या पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष जो कुछ भी हैं। लीला बिष्ट , उनके पति भी मंच पर पहुंच जाते हैं और वह मंच पर सारी दुनिया सुनती है यह कहते हुए कि हमारे साथ गाली-गलौज, मारपीट की गई है और ऐसा करने वाले लोग प्रमोद नैनवाल विधायक के लोग हैं, यह उनके इशारे पर हमारे साथ यह घटना घटित हो रही है। सारा भिकियासैंण सुनता है, अंकिता उसको अपनी फेसबुक में डालकर यह मांग करती हैं कि यदि ऐसा है तो महिला के अधिकार की बात है इसकी जांच होनी चाहिए।

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उनके खिलाफ कोई इंक्वायरी नहीं

हरीश रावत ने आगे बताया कि विधायक, अंकिता के खिलाफ एक वीडियो बनाकर के डालते हैं जिसमें कुछ उनको चुनौती देते हैं, अंकिता उसके जवाब में वीडियो बनाकर के अपने फेसबुक में डालती है और अंकिता के खिलाफ भतरौजखान थाने में एफआईआर दर्ज कर दी जाती है, उस वीडियो को लेकर के, वीडियो प्रमोद नैनवाल भी डालते हैं उनके खिलाफ कोई इंक्वारी नहीं, कोई जांच नहीं….!! लेकिन Ankita क्योंकि वह युवा कांग्रेस की विधानसभा अध्यक्ष हैं उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज होती है और उनको बराबर दबाव डाला जा रहा है कि वह अपने फेसबुक से उसको हटाएं नहीं तो उनके खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज होगा।

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यह किस स्तर तक भाजपा और भाजपा के जनप्रतिनिधि उतर गए हैं ? कितना दबाव पुलिस पर डाल रहे हैं तथा पुलिस के द्वारा कितना दबाव सामाजिक, राजनीतिक कार्यकर्ताओं पर डाला जा रहा है, यह उसका एक उदाहरण मात्र है और यदि यह प्रक्रिया चलती रही तो फिर हम लोगों के सामने “पुलिस थानों” में “धरना” देने के अलावा, अपने कार्यकर्ता के स्वाभिमान की रक्षा के लिए आगे आने के अलावा और कोई रास्ता नहीं रह जाता है।