Lalluram Desk. अस्थायी प्रतिनियुक्ति (आरज़ी ड्यूटी) के ज़रिए “मनपसंद पोस्टिंग” पर जमे पंजाब के “प्रभावशाली” स्कूली शिक्षकों को बड़ा झटका लगने वाला है, क्योंकि राज्य सरकार ने राज्य भर में लगभग 1,000 ऐसी पोस्टिंग खत्म करने का फैसला किया है.

इस कदम का उद्देश्य शिक्षकों की संख्या को तर्कसंगत बनाना है. तबादलों और पोस्टिंग की व्यवस्था में खामियों का फायदा उठाकर, ज़्यादातर “वीआईपी शिक्षक” मोहाली, पटियाला, फतेहगढ़ साहिब, फाज़िल्का, बठिंडा और मुक्तसर जैसे मनपसंद स्टेशनों पर अस्थायी पोस्टिंग हासिल कर लेते हैं.

शिक्षा विभाग के अधिकारी मानते हैं कि विधायकों, नौकरशाहों और न्यायिक अधिकारियों सहित विभिन्न तबकों से ऐसे शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति बढ़ाने के लिए उन पर हमेशा दबाव रहता है. शिक्षा मंत्री हरजोत बैंस ने पुष्टि की कि मुख्यमंत्री भगवंत मान के निर्देश पर अस्थायी प्रतिनियुक्ति पर रोक लगा दी गई है. उन्होंने कहा, “सरकार का ध्यान गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और शिक्षक-छात्र अनुपात में सुधार पर है.” उन्होंने कहा कि ये शिक्षक ग्रामीण या असुविधाजनक क्षेत्रों में तैनाती से बचने के लिए राजनीतिक प्रभाव का इस्तेमाल कर रहे थे.

विभाग ने अकेले वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालयों में ही लगभग 650 ऐसे शिक्षकों की पहचान की है. सीमावर्ती ज़िलों में तैनात और अस्थायी प्रतिनियुक्ति पर आए 280 शिक्षकों में से 176 अकेले अमृतसर और तरनतारन ज़िलों से हैं. इन शिक्षकों को इस साल दिसंबर तक अपने मूल तैनाती स्थल पर वापस लौटना होगा. दरअसल, शिक्षकों और उनके संघ के नेताओं ने इस प्रथा के बारे में कई शिकायतें की हैं. उनका आरोप है कि राजनीतिक संबंध अक्सर आधिकारिक ऑनलाइन स्थानांतरण नीति पर भारी पड़ जाते हैं.

राजकीय शिक्षक संघ के अध्यक्ष सुखविंदर सिंह चहल ने कहा कि विभाग की एक पारदर्शी स्थानांतरण नीति होनी चाहिए और सभी नियुक्तियाँ ऑनलाइन होनी चाहिए. एक अधिकारी ने कहा कि अस्थायी प्रतिनियुक्ति के कारण, ग्रामीण क्षेत्रों, खासकर सीमावर्ती ज़िलों में, शिक्षकों की कमी का सामना करना पड़ रहा है.