रायपुर। जी हां,सुनने में थोडा अटपटा लगे,लेकिन हुआ कुछ ऐसा ही है। दरअसल आधार, निराधर है, जिस आधार पर पूरी सरकार है, वो आधार निराधार है, जिस आधार की महिमा आपार है, वो आधार निराधार है। आधार की ये कहानी उस निराधार और मृत व्यक्ति सत्यनाराण सोनवानी की है जो जिंदा है।
जी हां चौंकिए मत, ये पूरी खबर जो सत्यनारायण की सत्यता और आधार से जुड़ी है। बात ऐसी है कि सरकार कह रही है कि अब बिना आधार के कोई प्रमाण नहीं है। लेकिन जब आधार अप्रमाणित होके प्राणहीन सा जान पड़े तो इस स्थिति में बेचारा सत्यनारायण करे भी तो क्या करे।
सत्य की सत्यता झूठ के रूप में यह है कि उनकी मौत 23 अप्रेल 2016 को हो गई थी, लेकिन सत्यनारायण 2017 में जिंदा निकले और वो भी आधार कार्ड के प्रमाण के साथ।
दरअसल सत्यनारायण अभनपुर के पास खोला गाँव का रहने वाला है, और 2016 में इस व्यक्ति को प्रधानमन्त्री आवास योजना के तहत मिलने वाले मकान के हुए सर्वे में अपात्र घोषित कर दिया गया था। वजह तब सामने आई जब जानकारी सूचना के अधिकार के तहत सामने आई है। आरटीआई में जानकारी मिली कि सत्यनारायण की मौत हो चुकी है, लिहाजा उन्हें पीएम आवास नहीं मिल सकता।
जैसे ही ये जानकारी उन्हें हुई कि वे सरकारी रिकार्ड में मृत घोषित हो गए है, सत्यनारायण अपनी सत्यता का प्रमाण आधार लिए सरकारी दफ्तरों का चक्कर काटने लगा। आधार कार्ड लेकर वो हर जगह ये बताने की कोशिश कर रहा है की साहब,मै मरा नहीं, जिंदा हूँ।
सत्यनारायण का ये मामला कोई एकलौता मामला नहीं है। अभनपुर जनपद पंचायत के तहत आने वाले इस ग्राम पंचायत खोला में बड़े स्तर पर प्रधानमंत्री आवास योजना में भ्रष्टाचार हो रहा है। कई लोग जो मिट्टी के मकानों में रह आ रहे हैं, उनके घर को रिपोर्ट में पक्का बता दिया गया है। ग्राम पंचायत की इस धांधली ने ना सिर्फ सत्यनारायण बल्कि ऐसे कितने ही लोगों की जिंदगी बर्बाद कर दी है।