लद्दाख के प्रसिद्ध क्लाइमेट एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक (Sonam Wangchuk) से उनकी पत्नी गीतांजलि ने जोधपुर जेल में मुलाकात की है। यह वांगचुक की जेल में रखे जाने के बाद पहली मुलाकात मानी जा रही है। गीतांजलि ने इस मुलाकात की जानकारी ट्विटर पर साझा की। उन्होंने लिखा, “आज सोनम वांगचुक से मुलाकात हुई है। हमें उन्हें हिरासत में लिए जाने के आदेश की कॉपी भी मिल गई है, जिसे हम अदालत में चुनौती देंगे।” गीतांजलि ने आगे बताया कि सोनम वांगचुक का जज्बा कमजोर नहीं हुआ है और वह लद्दाख के हित के लिए काम करना जारी रखेंगे। उन्होंने लिखा, “सोनम वांगचुक के जज्बे को सलाम है। उन्होंने अपना समर्थन करने वाले लोगों को सलाम भेजा है।”
गीतांजलि ने ट्विटर पर जानकारी साझा करते हुए लिखा, “आज सोनम वांगचुक से मुलाकात हुई है। हमें उन्हें हिरासत में लिए जाने के आदेश की कॉपी भी मिल गई है, जिसे हम अदालत में चुनौती देंगे। सोनम वांगचुक का जज्बा कमजोर नहीं हुआ है और वह लद्दाख के हित के लिए काम करते रहेंगे। उन्होंने अपना समर्थन करने वाले लोगों को सलाम भेजा है।” इससे पहले लेह एपेक्स बॉडी के कानूनी सलाहकार मुस्तफा हाजी और वांगचुक के बड़े भाई त्सेतन दोरजे ले भी जेल में उनसे मिलने पहुंचे थे।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और लद्दाख प्रशासन को सोनम वांगचुक की रिहाई से संबंधित नोटिस जारी किया है। अदालत ने दोनों से पूछा है कि क्यों सोनम वांगचुक को तत्काल रिहा नहीं किया जा सकता, जिन्हें रासुका के तहत जेल में बंद किया गया है। गीतांजलि की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने अदालत से मांग की थी कि गिरफ्तारी के आदेश की कॉपी परिवार को दी जाए, ताकि उन्हें कानूनी मदद मिल सके।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और लद्दाख प्रशासन को सोनम वांगचुक की रिहाई से संबंधित नोटिस जारी किया है। अदालत ने दोनों से पूछा है कि क्यों सोनम वांगचुक को तत्काल रिहा नहीं किया जा सकता, जिन्हें रासुका के तहत जेल में बंद किया गया है। गीतांजलि की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने अदालत को बताया कि जब तक हमारे पास हिरासत में लिए जाने के आदेश की कॉपी नहीं होगी, हम उसे अदालत में चुनौती नहीं दे पाएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें सोनम से मुलाकात कराए जाने की अनुमति दी जाए।
इस पर बेंच ने कहा कि अभी ऐसी कोई रिक्वेस्ट नहीं है, तो उस पर फैसला कैसे किया जा सकता है। बेंच ने यह निर्देश दिया कि पहले मुलाकात की प्रक्रिया पूरी करें, और यदि अनुमति न मिले तो फिर कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है। 24 सितंबर को लद्दाख में हिंसा भड़क गई थी, जिसमें 4 लोगों की मौत हो गई और लगभग दो दर्जन लोग घायल हुए। इस हिंसा के दौरान भाजपा कार्यालय को आग लगाई गई और कई पुलिसकर्मियों पर हमले हुए।
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