दिल्ली के बिखरे हुए सरकारी दफ्तरों को एक ही जगह लाने के लिए बड़ा कदम उठाया जा रहा है। लोक निर्माण विभाग (PWD) ने राजधानी में एक भव्य सचिवालय कॉम्प्लेक्स बनाने की योजना तैयार की है। इस कॉम्प्लेक्स में दिल्ली सरकार के सभी प्रमुख विभागों, मंत्रियों और अधिकारियों के दफ्तर एक ही परिसर में होंगे। PWD ने इसके लिए छह संभावित स्थानों की पहचान की है। सूत्रों के अनुसार, इन जगहों का चयन परिवहन, पहुंच, पर्यावरणीय उपयुक्तता और भूमि उपलब्धता को ध्यान में रखकर किया गया है। विभाग जल्द ही इन विकल्पों को मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के समक्ष अंतिम मंजूरी के लिए पेश करेगा। अधिकारियों का कहना है कि जैसे ही मुख्यमंत्री की स्वीकृति मिलती है, इसके बाद चयनित स्थान के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) तैयार करने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।

मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने इसी वर्ष अगस्त में घोषणा की थी कि दिल्ली को जल्द ही एक ऐसा आधुनिक सचिवालय मिलेगा, जहां सरकार के सभी विभाग एक ही स्थान से काम करेंगे। उन्होंने कहा था कि यह नया सचिवालय सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट की तर्ज पर तैयार किया जाएगा। सीएम गुप्ता ने बताया था कि इसमें अत्याधुनिक तकनीक, पर्यावरण के अनुकूल भवन निर्माण और डिजिटल प्रशासनिक व्यवस्था पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।

वर्तमान में दिल्ली सरकार के ज्यादातर विभाग शहर के अलग-अलग इलाकों में फैले हुए हैं। कई दफ्तर पुराने भवनों में काम कर रहे हैं, जिनमें जगह की कमी, पार्किंग की समस्या और सुविधाओं की कमी जैसी परेशानियां हैं। ऐसे में केंद्रीकृत सचिवालय बनने से न सिर्फ प्रशासनिक कामकाज में तेजी आएगी, बल्कि जनता को भी अलग-अलग जगह भटकने से राहत मिलेगी।

मुख्यमंत्री के निर्देश पर PWD मंत्री प्रवेश वर्मा की टीम ने दिल्ली के अलग-अलग इलाकों का सर्वे किया और छह संभावित जगहों को चुना। इनमें कुछ स्थान, जैसे राजघाट पावर प्लांट और आईपी स्टेशन, लंबे समय से बंद पड़े हैं और वहां पर्याप्त जमीन उपलब्ध है। इसके अलावा, आईटीओ क्षेत्र को भी उपयुक्त माना जा रहा है क्योंकि यह दिल्ली प्रशासन का केंद्र है और सभी विभागों के करीब है।

क्यों बनाया जा रहा नया सचिवालय?

वर्तमान में दिल्ली का मौजूदा सचिवालय, जिसे ITO पर ‘प्लेयर्स बिल्डिंग’ के नाम से जाना जाता है, अब सरकार की बढ़ती जरूरतों के सामने छोटा पड़ रहा है। करीब चार एकड़ में फैला यह कॉम्प्लेक्स मुख्यमंत्री कार्यालय और शहरी विकास, PWD, वित्त जैसे प्रमुख विभागों को तो संभालता है, लेकिन कई अन्य महत्वपूर्ण विभाग किराए के दफ्तरों या दिल्ली के कोने-कोने में बिखरे हुए हैं। PWD के एक अधिकारी ने बताया, “नया सचिवालय बनाने का मकसद है सभी विभागों को एक जगह लाना, ताकि कामकाज में तेजी आए और दिल्लीवासियों को बेहतर सेवाएं मिलें।”

इन 6 जगहों को चुना गया

PWD ने जमीन की उपलब्धता, मालिकाना हक, कनेक्टिविटी और बुनियादी ढांचे के आधार पर इन छह स्थानों का चयन किया है। सभी जगहें सरकारी जमीन पर हैं, जिससे मंजूरी और शिफ्टिंग की प्रक्रिया सरल होगी। PWD मंत्री ने इन विकल्पों की समीक्षा पूरी कर ली है और अब बस मुख्यमंत्री की मुहर का इंतजार है।

1. गुलाबी बाग

इन छह जगहों में गुलाबी बाग सबसे आगे माना जा रहा है। यहाँ 80 एकड़ की विशाल सरकारी जमीन है, जिस पर पुराने सरकारी कर्मचारी आवास हैं जो अब जर्जर हो चुके हैं। इनका पुनर्विकास कर नया सचिवालय बनाया जा सकता है। रिंग रोड और मेट्रो कॉरिडोर की नजदीकी इसे और भी आकर्षक विकल्प बनाती है।

2. खैबर पास

सिविल लाइन्स के पास खैबर पास में 40 एकड़ जमीन भी संभावित स्थल के रूप में शामिल है। यह जमीन हाल ही में एक अनधिकृत कॉलोनी हटाने के बाद खाली हुई है। यह क्षेत्र दिल्ली रिज का हिस्सा है और दिल्ली विधानसभा तथा नॉर्थ दिल्ली जिला कार्यालयों के करीब होने के कारण इसे भी बेहद उपयुक्त माना जा रहा है।

3. राजघाट पावर प्लांट

2015 में बंद कोयला आधारित पावर प्लांट, 45 एकड़ में फैला, यमुना नदी के किनारे और रिंग रोड के पास होने के कारण उत्कृष्ट कनेक्टिविटी और मौजूदा बुनियादी ढांचे के लिहाज से उपयुक्त। हालांकि, पर्यावरणीय मंजूरी लेने में चुनौतियां हो सकती हैं।

4. IPGCL गैस टरबाइन

इंद्रप्रस्थ (IPGCL) गैस टरबाइन पावर स्टेशन: 30 एकड़ में फैला, बंद गैस-आधारित प्लांट, सेंट्रल दिल्ली और मेट्रो की नजदीकी इसे प्रशासनिक उपयोग के लिए खास बनाती है।

5. ITO बस डिपो

17.5 एकड़ में फैला, जिसमें 10 एकड़ डिपो, 2.5 एकड़ सरकारी स्कूल और 5 एकड़ खाली जमीन शामिल है। मौजूदा सचिवालय के बगल में होने के कारण यह बदलाव और शिफ्टिंग के लिए सुविधाजनक विकल्प है।

6. ट्विन टावर्स

4.5 एकड़ में फैला, जिसमें विकास मीनार और आसपास की सरकारी इमारतें शामिल हैं, DUSIB और DDA के दफ्तरों का ठिकाना। इसे बस डिपो के साथ जोड़ा जाए तो 22 एकड़ का भव्य केंद्रीय कॉम्प्लेक्स बनाया जा सकता है।

क्या होगा अगला कदम?

PWD के अधिकारियों ने कहा कि मुख्यमंत्री के फैसले के बाद चुनी गई जगह का विस्तृत सर्वे किया जाएगा। अगले दो हफ्तों में एक प्रेजेंटेशन तैयार की जाएगी, जिसके बाद डिजाइन, लागत अनुमान और टेंडर प्रक्रिया शुरू होगी। एक अधिकारी ने कहा, “हमारा लक्ष्य है कि नया सचिवालय न सिर्फ आधुनिक हो, बल्कि दिल्ली की बढ़ती प्रशासनिक जरूरतों को लंबे समय तक पूरा करे।”

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