Rajasthan News: जयपुर के नजदीक रामपुरा कंवरपुरा गांव में सरकारी स्कूल की हालत इतनी खराब है कि देख कर दिल दहल जाए। स्कूल का भवन जर्जर घोषित होने के बाद राजस्थान हाईकोर्ट के आदेश पर कक्षाएं बंद कर दी गईं, लेकिन वैकल्पिक व्यवस्था के नाम पर बच्चों की पढ़ाई अब एक तबेले में चल रही है।

गांव के सत्यानंद ने अपनी जमीन स्कूल के लिए दी है वही जगह जहां पहले उनकी गायें बंधती थीं। अब गायें बाहर हैं, और बच्चे टीन शेड या पेड़ की छांव में बैठकर पढ़ रहे हैं। दो छोटे कमरों में स्कूल का सामान और पोषाहार रखा है। शिक्षकों ने कई बार शिक्षा विभाग को पत्र लिखे, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।
हाईकोर्ट ने जर्जर भवनों में स्कूल चलाने पर रोक लगाते हुए सरकार को वैकल्पिक इंतजाम करने का आदेश दिया था। नेशनल कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स के वकील वागीश सिंह ने बताया कि कोर्ट ने सरकार से विस्तृत रिपोर्ट मांगी थी, लेकिन अब तक ठोस रोडमैप नहीं दिया गया। सरकार ने दोबारा समय मांगा है, जबकि कोर्ट ने चेतावनी दी है कि कई जगह स्कूलों की स्थिति और भी खतरनाक है।
चाकसू के बीड सूरतरामपुरा में भी स्थिति अलग नहीं है। वहां जर्जर स्कूल भवन बंद होने के बाद कक्षाएं एक स्थानीय परिवार के घर के हॉल में चल रही हैं। हॉल के एक कोने में रसोई है, वहीं बच्चे उसी कमरे में पढ़ते हैं। पास के कमरे में आंगनबाड़ी चलती है, जहां पोषाहार रखा है। स्कूल का सारा सामान बक्सों में बंद है, और पुराने भवन की दीवार पर “प्रवेश निषेध” लिखा है। बच्चे रस्सी से बंधे टीन के गेट से अंदर जाते हैं।
शिक्षा विभाग के सर्वे के मुताबिक, राजस्थान के 63,018 स्कूलों में से 5,667 भवन जर्जर हैं। इनमें 1,579 पूरी तरह खतरनाक घोषित किए गए हैं। करीब 86,934 कक्ष और 17,109 शौचालय भी खराब स्थिति में हैं। सबसे ज्यादा जर्जर स्कूल भवन बांसवाड़ा (605), उदयपुर (563) और जयपुर (185) में हैं।
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