नियमित शिक्षक के समान अधिकार,सुविधा व सम्मान पाने 5 सितंबर को “शिक्षक क्रांति दिवस” प्रदेश के सभी 27 जिला मुख्यालय में
जिला स्तरीय धरना-प्रदर्शन के उपरांत मुख्यमंत्री के नाम 9 सूत्रीय मांगो पर कलेक्टर को सौपेंगे ज्ञापन
शासकीयकरण/संविलियन सहित अन्य मांगो को लेकर शासन के वादाखिलाफी पर होगा प्रदर्शन

रायपुर।  कल शिक्षक दिवस है। देश भर में शिक्षकों के सम्मान शासन से लेकर प्रशासन और सामाजिक संगठनों की ओर से शिक्षक सम्मान समारोह का आयोजन हो रहा है। लेकिन कल ही छत्तीसगढ़ में शिक्षाकर्मियों का प्रदेश स्तरीय प्रदर्शन भी है। शिक्षक दिवस को शिक्षाकर्मियों ने शिक्षक क्रांति दिवस का नाम दिया है।
दरअसल कल प्रदेश के 1 लाख 80 हजार  शिक्षाकर्मी शिक्षक पंचायत संवर्ग प्रांतीय संघ के आह्वान पर 9 सूत्रीय मांगों को लेकर जिला मुख्यालयों में हल्ला बोंलेंगे। मतलब है कि एक तरफ जहां राजभवन में शिक्षकों का सम्मान हो रहा होगा तो दूसरी शिक्षक हल्ला बोल रहे होंगे।  शिक्षक दिवस के दिन शिक्षक क्रांति दिवस मनाएंगे। छत्तीसगढ़ पंचायत नगरीय निकाय शिक्षक संघ के प्रदेशाध्यक्ष संजय शर्मा ने बताया कि एक ही विभाग में एक ही छत के नीचे एक साथ काम करने के बाद भी 22 वर्ष हो जाने के बाद आज तक शिक्षक पंचायत संवर्ग को सही मायने में शिक्षकों का सम्मान प्राप्त नहीं हुआ है। इसलिए हम शिक्षक दिवस को शिक्षक क्रांति दिवस के रूप में मनाते हुए प्रदेश के 27 जिला मुख्यालयो में धरना प्रदर्शन करते हुए ज्ञापन सौपेंगे ।कई वर्षों से शैक्षिक धरातल पर समाज की नवीन पीढ़ी को शिक्षित कर वर्तमान समाज की आधारशिला रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले हम शिक्षाकर्मी/ शिक्षक पंचायत /न.नि. आज भी आर्थिक आजादी के साथ समाज में सम्मान पाने संघर्षरत हैं,ये समाजिक चिंतन का बहुत बड़ा विषय है। शैक्षिक पृष्ठभूमि पर शिक्षा विभाग के दोहरे मापदंड के शिकार हम शिक्षक पंचायत संवर्ग किसी विभाग के एक अन्य शिक्षकों की तुलना में हर दृष्टि से शिक्षित है ,एक ही विभाग ,एक समान कार्य विभाजन, एक समान दायित्व, एक समान योग्यता होने पर भी हम पर यह दोहरा व्यवहार क्यों किया जा रहा है ? इस दोहरे मापदंड से नाराज शिक्षाकर्मियों ने शिक्षक दिवस को सम्मान न लेते हुए 5 सितंबर को शिक्षक क्रांति दिवस मनाकर संघ के प्रांतीय आह्वान पर जिला मुख्यालयों में धरना प्रदर्शन करेंगे ।

उन्होंने कहा कि 1995 से अब तक नियमित शिक्षकों को लगभग एक तिहाई से भी कम वेतन, पांचवें, छठे और सातवें वेतन देने के बजाय उसको समतुल्य और कुछ को कुछ भी नहीं नाम पर निरंतर आर्थिक शोषण किया गया है। ना तो शिक्षक पंचायत संवर्ग को क्रमोन्नति समयमान ही दिया गया है, जबकि इसी विभाग में कार्यरत अन्य शिक्षकों को सेवाकाल में  2 क्रमोन्नति का प्रावधान है । हद तो तब हो गई की जब शासन ने शिक्षक पंचायत संवर्ग के शिक्षकों के समान वेतन एवं भत्ते के लिए आदेश जारी किया , लेकिन कुछ ही दिनों पश्चात केवल महंगाई भत्ते तक उसे सीमित कर दिया गया । और न तो चिकित्सा भत्ता और न ही मकान भत्ते  इत्यादि कोई प्राप्त हुआ है।

शिक्षाकर्मियों की ये है प्रमुख मांग

  1. समान कार्य हेतु समान वेतन के आधार पर समस्त शिक्षक पं/न नि संवर्ग को  शिक्षा व्  आजा क वि में संविलियन, /शासकीयकरण करते हुवे क्रमोन्नति वेतनमान पर सातवाँ वेतनमान दिया जावे।
  2. समस्त शिक्षक संवर्ग के लिए दो स्तरीय क्रमोन्नति/समयमान वेतनमान जारी किया जावे।
  3. अप्रशिक्षित शिक्षक संवर्ग के लिए प्रशिक्षण की पूर्ण व्यवस्था करते हुवे, वर्तमान में उन्हें नियमित करते हुवे समयमान वेतनमान व् पुनरीक्षित वेतनमान का लाभ दिया जावे साथ ही वेतनमान कटौती न किया जावे।
  4. सहायक शिक्षक वर्ग को  व्याख्याता,शिक्षक के अंतर के अनुपात में समानुपातिक वेतनमान दिया जावे।
  5. केबिनेट निर्णय का पालन करते हुवे शिक्षक संवर्ग को वरिष्ठता के आधार पर प्राचार्य,प्रधान पाठक के पद पर पदोन्नति किया जावे।
  6. व्याख्याता,व्यायाम शिक्षक,उर्दू शिक्षको के पदोन्नति के लिए प्रावधान बनाकर पद स्वीकृत किया जावे।
  7. समग्र वेतन(मूल वेतन,महगाई भत्ता ) में सी पी एफ कटौती,व् 2004 के पूर्व नियुक्त शिक्षको की जी पी एफ कटौती किया जावे।
  8. प्रदेश के अन्य कर्मचारियो व् शिक्षको के समान शिक्षक संवर्ग के लिए खुली स्थानांतरण नीति बनाया जावे।
  9. टेट व् डी एड के बिना अनुकम्पा नियुक्ति का प्रावधान कर न्यनतम योग्यता के अभाव में चतुर्थ वर्ग पर भी अनुकम्पा नियुक्ति दिया जावे।