सारण। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण में नामांकन दाखिल करने के दौरान एक नाम ने सभी का ध्यान खींचा लालू प्रसाद यादव। लेकिन ज़रा ठहरिए। यह वही राजद प्रमुख लालू यादव नहीं हैं जिनका नाम बिहार की राजनीति से जुड़ा है, बल्कि उनके हमनाम हैं जो चुनाव लड़ने की अपनी अजीब लेकिन दिलचस्प आदत के लिए जाने जाते हैं। सारण जिले के रहीमपुर गांव के रहने वाले हैं ये लालू यादव। 45 वर्षीय यह हमनाम सारण जिले के जादो रहीमपुर गांव के निवासी हैं जो पटना से करीब 150 किलोमीटर दूर है। इसी सारण लोकसभा क्षेत्र से मशहूर लालू प्रसाद यादव ने 1977 में पहली बार संसद का रास्ता तय किया था। अब उसी क्षेत्र के मरहौरा विधानसभा सीट से यह स्थानीय लालू यादव किस्मत आजमाने उतरे हैं।
राबड़ी देवी के खिलाफ भी लड़ चुके हैं चुनाव
यह कोई पहला मौका नहीं है जब उन्होंने चुनावी पर्चा भरा हो। खुद लालू यादव बताते हैं मैंने पहली बार 2001 में वार्ड पार्षद का चुनाव लड़ा था। उनका कहना है कि 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने राबड़ी देवी के खिलाफ भी चुनाव लड़ा था जब वह अपने पति लालू प्रसाद यादव की जगह मैदान में थीं। उस वक्त राबड़ी देवी भाजपा के नेता राजीव प्रताप रूडी से हार गई थीं।
धरती पकड़ उपाधि से हैं मशहूर
लगातार चुनाव लड़ने और हारते रहने के कारण लोगों ने उन्हें मजाक में धरती पकड़ की उपाधि दे दी है। लेकिन वह इसे गर्व से स्वीकार करते हैं। कहते हैं, मैंने 2017 और 2022 के राष्ट्रपति चुनाव में भी नामांकन भरा था। हालांकि दोनों बार उनका नामांकन रद्द हो गया मगर उनका उत्साह कम नहीं हुआ।
अब जन संभावना पार्टी से हैं उम्मीदवार
खेती-किसानी करने वाले इस लालू यादव ने बताया कि वह निर्दलीय नहीं, बल्कि जन संभावना पार्टी से उम्मीदवार हैं। उन्होंने कहा मेरा हलफनामा देखिए मैं किसी पार्टी से जुड़ा हूं। कभी महाराजगंज से, तो कभी तरारी या रुपौली से चुनाव लड़ने वाले इस हमनाम की कहानी भले ही सफलता से दूर रही हो, लेकिन उनके राजनीतिक जुनून ने उन्हें बिहार चुनावी चर्चा का एक दिलचस्प चेहरा जरूर बना दिया है।
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