पुरुषोत्तम पात्र, गरियाबंद। एक तरफ सरकार बच्चों को बेहतर शिक्षा देने का दंभ भर रही है, तो वहीं दूसरी ओर नौनिहाल जिम्मेदारों की लापरवाही की वजह से धूप-बरसात में पेड़ के नीचे पढ़ाई करने को मजबूर हैं. यह हाल है नवागांव प्राथमिक शाला का, जिसके जर्जर भवन की मरम्मत के लिए डेढ़ लाख रुपए सालभर बीत गया है, लेकिन अब तक काम शुरू नहीं हो पाया है, क्योंकि भवन पर टेंट संचालक का कब्जा है!
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नवागांव प्राथमिक शाला की प्रधान पाठक जयंती बघेल बताती हैं कि स्कूल भवन पर वीणा टेंट संचालक नरेश नागेश ने 2023 से कब्जा कर सामग्री रखी हुई है. संचालक को समान हटाने कई बार मौखिक रूप से कहा गया, इसके साथ स्कूल प्रबंधन की ओर से ग्राम सरपंच से लेकर जिला शिक्षा अधिकारी तक का पत्राचार किया गया, लेकिन टेंट हाउस संचालक सामान नहीं हटाने पर अड़ा हुआ है.

मरम्मत की राशि लेप्स होने के कगार पर
शाला भवन मरम्मत के लिए साल भर पहले 1.49 लाख रुपए की मंजूरी मिली हुई है. लेकिन भवन पर कब्जे के कारण शाला प्रबंधन मरम्मत कार्य नहीं करा पा रही है. इस संबंध में बार-बार प्रोग्रेस रिपोर्ट भेजी जा रही है, जिसमें भवन पर कब्जा दर्शाया जाता रहा है, लेकिन कब्जे को लेकर बड़े अफसरों ने स्कूल का साथ नहीं दिया. ग्राम पंचायत भी मामले में चुप्पी साधे बैठा है. बताया जा रहा है कि कब्जा बने रहने से नए स्कूल भवन की मंजूरी मिल जायेगा सोच कर स्थानीय जनप्रतिनिधि भी कब्जा हटाने में सहयोग नहीं कर रहे हैं.
पेड़ के नीचे लगती है पाठशाला
कुल 34 की दर्ज संख्या वाले स्कूल का एक छोटा सा अतिरिक्त कक्ष है, उसी में 4 कक्षाएं और स्कूल दफ्तर संचालित होता है. वहीं कक्षा 5 का संचालन बरामदे में मौजूद बरगद पेड़ के नीचे होता है. बारिश होने पर उसी एक कमरे में सभी बच्चों को ठूंस दिया जाता है.
त्वरित कार्रवाई करे प्रशासन
सेवानिवृत्त प्रधान पाठक अर्जुन ठाकुर कहते हैं कि शिशा विभाग में शिक्षकों को सीमित अधिकार होता है, उसे उतना ही हक नहीं दिया जाता कि जिस संस्थान में काम कर रहे उस संस्थान के प्रति आवाज उठा सके. शायद यही वजह है कि साल भर से पत्राचार करने के बावजूद स्कूल भवन को टेंट हाउस संचालक से खाली नहीं कराया जा सका. ऐसे मामलों में छात्र हित को ध्यान में रखते हुए प्रशासन को त्वरित और कड़ा एक्शन लेना चाहिए.
तीन दिन का दिया गया समय
देवभोग ब्लॉक शिक्षा अधिकारी योगेश पटेल ने बताया कि ग्राम सरपंच से संपर्क कर तीन दिन के भीतर भवन खाली कराने कहा गया है. अगर भवन खाली नहीं होता है तो पुलिस की मदद ली जाएगी. भवन खाली होने के बाद मरम्मत कराया जाएगा.
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