कुंदन कुमार/पटना। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले पटना में राजनीतिक हलचल चरम पर है। दोनों प्रमुख गुट महागठबंधन और NDAसीट बंटवारे की व्यवस्थाओं को अंतिम रूप देने की तैयारी में लगे हैं। इस बीच, कांग्रेस, राजद, JDU और अन्य दलों के नेताओं की बयानबाजी ने माहौल को और गर्म कर दिया है।कांग्रेस नेता अखिलेश प्रसाद सिंह ने कहा कि महागठबंधन के भीतर सीटों की बंटवारे की प्रक्रिया लगभग पूर्ण हो चुकी है। उन्होंने कहा अंत समय में कुछ पेंच कहीं न कहीं सबमें होते हैं NDA में भी हैं और हममें भी। 1–2 दिन में सब कुछ घोषित हो जाएगा।
महागठबंधन की रणनीति और वादों की लड़ाई
राजद प्रमुख तेजस्वी यादव ने बड़े वादे के साथ जनता को भरोसा दिलाया। उनका कहना है कि जिस परिवार के पास सरकारी नौकरी नहीं है, उस परिवार को नौकरी मिलेगी। उन्होंने यह भी कहा कि 14 नवंबर के बाद बिहार की जनता बेरोजगारी से मुक्ति पाएगी। यह वादा महागठबंधन की चुनावी रणनीति के केंद्र में दिखता है, लेकिन इस बीच अन्य नेताओं ने विरोधी ट्रैक भी अपनाया है। राजद के मृत्युंजय तिवारी ने प्रशांत किशोर द्वारा तेजस्वी की घोषणा पर कटाक्ष किया और कहा कि विरोधी दल ऐसी घोषणाएं सुनते ही हार मान लेते हैं। उन्होंने कहा कि जब लोग पहले ही असंभव कहें, तो काम करने की संभावना कहां से आएगी? महागठबंधन में आरजेडी, कांग्रेस और विभिन्न सहयोगी दलों के बीच सीटों का समीकरण अभी अंतिम रूप ले रहा है। आरजेडी को बड़ी हिस्सेदारी मिलने का अनुमान है और कांग्रेस एक महत्वपूर्ण भूमिका की लड़ाई में है।
NDA के अंदर की दांव-पेंच
NDA के भीतर भी सीट बंटवारे को लेकर जटिलताएं हैं। राज्यसभा सांसद मनन कुमार मिश्रा ने इस पर भरोसा व्यक्त किया कि छोटे-छोटे मतभेद जल्दी सुलझ लिए जाएंगे। उन्होंने कहा घर में थोड़ी बहुत दूरी हो सकती है, लेकिन सब सुलझ जाएगा अंत बढ़िया होगा। NDA बहुमत से सरकार बनाएगी। बीजेपी, JDU और अन्य सहयोगियों के बीच किसे कितनी सीट मिले, यह अभी अंतिम चरण में है। JDU नेता राजीव रंजन प्रसाद ने चेतावनी दी कि राजद को बहुत कम सीटें मिलेंगी। उनका कहना है कि जनता पहले ही यह मान चुकी है कि नीतीश कुमार के नेतृत्व में NDA बड़ी जीत की ओर बढ़ रहा है।चिराग पासवान और उपेंद्र कुशवाहा जैसे सहयोगी दलों ने भी अपनी मांगें सार्वजनिक की हैं। चिराग ने कहा कि वे केवल सम्मानजनक हिस्सेदारी पर समझौता करेंगे। कुशवाहा ने सार्वजनिक तौर पर कहा कि अब तक NDA में कोई गंभीर मतभेद देखने को नहीं मिले।
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