कुंदन कुमार/ पटना। सीट-शेयरिंग की घोषणा के बाद भाजपा के वरिष्ठ विधायक अरुण कुमार सिन्हा ने आधिकारिक तौर पर घोषणा की कि वे आगामी विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी के रूप में नामांकन नहीं कराएंगे। फेसबुक पर साझा किए गए अपने सन्देश में उन्होंने व्यक्तिगत कारणों का हवाला देते हुए पार्टी-कर्मियों और समर्थकों का धन्यवाद कहा और संगठन के प्रति अपनी निष्ठा दोहराई। सिन्हा ने अपने पोस्ट में लिखा आगामी विधानसभा चुनाव में मैं प्रत्याशी के रूप में चुनाव नहीं लड़ूंगा, लेकिन संगठन के लिए कार्य करता रहूंगा। पिछले 25 वर्षों में आप सभी ने जो विश्वास एवं सहयोग दिया उसका सदा आभारी रहूंगा। इस घोषणा के बाद क्षेत्र में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है और कार्यकर्ता भावनात्मक प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं।

भाजपा का मजबूत गढ़

कुम्हरार विधानसभा सीट पर अरुण सिन्हा की पकड़ दशकों से मजबूत रही है। चार बार लगातार जीतने वाले सिन्हा ने स्थानीय विकास कार्यों और शहर परियोजनाओं में सक्रिय भागीदारी दिखाई। उनके निर्णय से अब यह सवाल उठ खड़ा हुआ है कि पार्टी इस सीट पर किस नए चेहरे पर दांव लगाएगी और क्या मौजूदा कार्यकर्ता नई उम्मीद से जुड़ पायेंगे।

पार्टी पर क्या असर पड़ेगा?

भाजपा के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि यह कदम संगठन के प्रति भावनात्मक समर्पण के रूप में लिया गया है। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि सीट-शेयरिंग और नई पीढ़ी को मौका देने की रणनीति इस निर्णय के पीछे एक वजह हो सकती है। वहीं कुछ समर्थक निराश दिखे तो कईयों ने सिन्हा के फैसले को अनुशासन और त्याग का उदाहरण बताया।

आगे की राह और संभावित उम्मीदवार

पार्टी अब कुम्हरार सीट के लिए नई रणनीति बनाएगी स्थानीय कार्यकर्ताओं को सक्रिय रखते हुए संभावित उम्मीदवारों की पहचान शुरू कर दी गई है। सिन्हा ने स्पष्ट किया है कि वे संगठनात्मक और प्रचारात्मक स्तर पर पार्टी के साथ बने रहेंगे जिससे नए उम्मीदवार को समर्थन मिलने की संभावना बनी रहती है।