पूर्व आईएएस कन्नन गोपीनाथन कांग्रेस महासचिव (संगठन) के.सी. वेणुगोपाल और पार्टी नेता पवन खेड़ा की उपस्थिति में कांग्रेस में शामिल हुए। इस मौके पर कन्नन गोपीनाथन ने कहा कि मैंने 80-90 जिलों का दौरा किया और लोगों से बात की; मैं कई नेताओं से मिला। तब यह स्पष्ट हो गया कि सिर्फ कांग्रेस पार्टी ही देश को उस दिशा में ले जा सकती है जिस दिशा में उसे जाना चाहिए। वहीं कांग्रेस महासचिव (संगठन) और सांसद के.सी. वेणुगोपाल ने कहा कि कन्नन गोपीनाथन कांग्रेस में शामिल हो रहे हैं। यह एक स्पष्ट संदेश देता है कि कांग्रेस एकमात्र पार्टी है जो इस देश के लिए न्याय के लिए लड़ रही है।

‘सिर्फ कांग्रेस ही देश को उस दिशा में ले जा सकती है…’

कांग्रेस में शामिल होने के बाद मीडिया से बात करते हुए कन्नन गोपीनाथन ने कहा कि ‘मैंने 2019 में इस्तीफा दे दिया था। उस समय एक बात साफ थी, सरकार देश को जिस दिशा में ले जाना चाहती है, वह सही नहीं है। यह साफ था कि मुझे गलत के खिलाफ लड़ना है। मैंने 80-90 जिलों का दौरा किया और लोगों से बात की; कई नेताओं से मिला। तब मुझे ये साफ हो गया कि सिर्फ कांग्रेस पार्टी ही देश को उस दिशा में ले जा सकती है जिस दिशा में उसे जाना चाहिए।’

‘मैंने सवाल उठाया और इसपर कायम हूं’

पूर्व आईएएस अधिकारी कन्नन गोपीनाथन ने आगे कहा, “धारा 370 को हटाना सरकार का फैसला हो सकता है। लेकिन अगर आप पूरे राज्य को बंद करने, सभी पत्रकारों, सांसदों और पूर्व मुख्यमंत्रियों को जेल में डालने, परिवहन, संचार और इंटरनेट बंद करने का फैसला करते हैं, तो क्या यह सही है? यह सिर्फ मेरे लिए नहीं, बल्कि हम सभी के लिए एक सवाल है। क्या एक लोकतांत्रिक देश में यह सही हो सकता है? क्या इसके खिलाफ आवाज नहीं उठनी चाहिए थी? मैंने यह सवाल उठाया था और मैं आज भी इस पर कायम हूं।”

‘न्याय के लिए लड़ रही कांग्रेस’

वहीं इस मौके पर कांग्रेस महासचिव (संगठन) और सांसद के.सी. वेणुगोपाल ने कहा, “यह हम सभी के लिए सबसे खुशी का क्षण है कि इस देश के दलित और हाशिए के लोगों के प्रति जुनून रखने वाले और हमेशा न्याय, प्रेम और स्नेह के लिए लड़ने वाले बहादुर नौकरशाहों में से एक, कन्नन गोपीनाथन कांग्रेस में शामिल हो रहे हैं। यह एक स्पष्ट संदेश देता है कि कांग्रेस एकमात्र पार्टी है जो इस देश के लिए न्याय के लिए लड़ रही है। उन्होंने 2019 में सिविल सेवा से इस्तीफा दे दिया था, लेकिन उनका कहना है कि उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया गया है। न्याय और हाशिए के लोगों के लिए लड़ने वाले नौकरशाहों को सिस्टम द्वारा दंडित किया जाता है। यहां तक ​​कि सीजेआई को भी नहीं बख्शा जाता है। यह समय उठकर इस विभाजनकारी एजेंडे के खिलाफ लड़ने का है।”

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